Jagannath Rath Yatra 2025 : भगवान जगन्नाथ, श्रीकृष्ण के एक रूप माने जाते हैं, जिनकी पूजा उड़ीसा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भव्य रूप से की जाती है. हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को रथ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथों में सवार होकर भक्तों के बीच आते हैं. इस अवसर पर यदि श्रद्धालु विधिपूर्वक भगवान जगन्नाथ की पूजा करें, तो उन्हें विशेष पुण्य, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं भगवान जगन्नाथ की पूजा की संपूर्ण विधि महत्वपूर्ण बिंदुओं में:-
– प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें
भगवान जगन्नाथ की पूजा से पहले स्वयं की पवित्रता अत्यंत आवश्यक है. प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ व सादा वस्त्र पहनें. पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें और भगवान की मूर्ति या चित्र को लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले कपड़े पर स्थापित करें.
– पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें
भगवान जगन्नाथ को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) से स्नान कराएं. इसके बाद उन्हें वस्त्र, फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. श्रीकृष्ण के रूप में भगवान को तुलसी पत्र अत्यंत प्रिय है, इसलिए पूजा में तुलसी अवश्य अर्पित करें. मंत्रों के उच्चारण के साथ “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करें.
– विशेष भोग अर्पण करें
भगवान जगन्नाथ को छप्पन भोग अर्पण का विशेष महत्व है, परंतु सामान्य पूजा में आप खीर, फल, नारियल, मिश्री, पंचामृत या घर में बना सात्त्विक भोजन भी अर्पित कर सकते हैं. भोग अर्पण के समय मन में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति होनी चाहिए. भोग को पहले भगवान को समर्पित कर, फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.
– भजन, कीर्तन और मंत्रोच्चार करें
भगवान जगन्नाथ की पूजा में भजन-कीर्तन का विशेष स्थान है. “जय जगन्नाथ” या “हरे कृष्ण हरे राम” जैसे भजन गाकर वातावरण को भक्तिमय बनाएं। साथ ही, श्री जगन्नाथ अष्टकम या विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं.
– आरती करें और व्रत व संकल्प लें
पूजा के अंत में भगवान की आरती करें. घी का दीपक जलाएं और घंटी बजाकर आरती गाएं. आरती के बाद भगवान से अपने व्रत या संकल्प की पूर्ति की प्रार्थना करें और अपने परिवार के कल्याण, सुख और मोक्ष की कामना करें. रथ यात्रा के दिन उपवास करना भी पुण्यकारी माना जाता है.
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भगवान जगन्नाथ की पूजा में श्रद्धा, भक्ति और शुद्धता का विशेष महत्व है. रथ यात्रा के पावन अवसर पर यदि विधिपूर्वक पूजा की जाए, तो जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और ईश्वर की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होती है.