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Hartalika Teej Vrat Katha: हरतालिका तीज व्रत कथा सुन अपना व्रत करें पूरा जानें पूरी कथा और महत्व

हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन और अविवाहित कन्याओं के लिए बेहद शुभ माना जाता है, जानें माता पार्वती और भगवान शिव की कथा और व्रत का महत्व.

Hartalika Teej Vrat Katha: भारत में व्रत-त्योहारों की परंपरा धार्मिक आस्था और संस्कृति से जुड़ी हुई है. इनमें हरतालिका तीज का विशेष महत्व माना जाता है. यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं द्वारा रखा जाता है. इस दिन महिलाएं कठोर निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करती हैं.

मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है और अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है. Hartalika Teej के व्रत की मुख्य विशेषता इसकी कथा है, जिसे सुनना और सुनाना अनिवार्य माना गया है.

Hartalika Teej Vrat Katha: हरतालिका तीज व्रत कथा

Hartalika Teej Vrat Katha
हरतालिका तीज व्रत के पूजा का समय

प्राचीन काल में हिमालय पर्वत की पुत्री पार्वती माता ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने का संकल्प लिया. किंतु उनके पिता हिमवान ने उनका विवाह भगवान विष्णु से करने का निश्चय कर लिया. जब पार्वती जी को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी सखी से यह पीड़ा साझा की. उनकी सखी ने उन्हें समझाया कि यदि वे सच्चे मन से भगवान शिव को अपना पति मानकर तपस्या करें तो उनका संकल्प अवश्य पूर्ण होगा.

सखी के कहने पर पार्वती जी ने एकांत वन में जाकर कठोर तपस्या आरंभ कर दी. कई वर्षों तक उन्होंने निर्जल और कठोर उपवास किया. माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनकी सखियां उन्हें बार-बार घर लौटने के लिए कहतीं, लेकिन वे अपने निश्चय पर अडिग रहीं. इसी कारण इस व्रत को हरतालिका कहा गया है- ‘हरित’ मतलब हर ले जाना और ‘आलिका’ (सखी), यानी सखी द्वारा पार्वती को घर से दूर ले जाकर वन में तपस्या करवाना.

माता पार्वती की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाने का वचन दिया. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ. तभी से यह व्रत सुहागिन स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है.

व्रत का महत्व

  1. सुहागिन महिलाओं के लिए – यह व्रत पति की दीर्घायु और दांपत्य सुख की प्राप्ति के लिए रखा जाता है.
  2. कुंवारी कन्याओं के लिए – इस व्रत के प्रभाव से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है, जैसा माता पार्वती को भगवान शिव मिले.
  3. आध्यात्मिक महत्व – हरतालिका तीज व्रत आत्मसंयम, निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है.
  4. परिवारिक समृद्धि – मान्यता है कि इस व्रत से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है.

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Pratishtha Pawar
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