Gopashtami 2025: आज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है, और इसी दिन गोपाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है. यह दिन भगवान श्रीकृष्ण और गौमाता की पूजा के लिए विशेष माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि यह पर्व उस घटना से जुड़ा है जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी. इस दिन गौमाता की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आरोग्यता प्राप्त होती है.
गोपाष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कार्तिक मास की अष्टमी तिथि पर इस वर्ष रवि योग और शिववास योग जैसे दो शुभ संयोग बन रहे हैं. रवि योग का आरंभ 30 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 33 मिनट से होगा और यह 31 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. रवि योग को बहुत शुभ माना गया है, और इस योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और आरोग्यता का वरदान मिलता है.
गोपाष्टमी की पौराणिक कथा
मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण छह वर्ष के हुए, तो उन्होंने माता यशोदा से गाय चराने की अनुमति मांगी. माता यशोदा ने उन्हें नंद बाबा से पूछने को कहा. नंद बाबा ने पहले कहा कि वे अभी छोटे हैं, इसलिए केवल बछड़े ही चराएं. लेकिन कृष्ण ने जिद की, तब नंद बाबा ने शांडिल्य ऋषि से शुभ मुहूर्त पूछा. ऋषि ने उसी दिन को गोचारण के लिए सर्वोत्तम बताया. यही दिन कार्तिक शुक्ल अष्टमी था, और इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गाय चराई. तब से यह दिन गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा.
ये भी पढ़ें: इस गोपाष्टमी पर श्रद्धा से करें गौ माता की सेवा, दूर होंगी सभी परेशानियां और जीवन में आएगी समृद्धि
गोपाष्टमी पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें.
- गौमाता को स्नान कराकर उनकी वंदना करें.
- गौशाला या पूजा स्थान को गोबर से लीपकर साफ करें और दीपक, फूल और रंगोली से सजाएं.
- घर के मंदिर में गौमाता, राधा और कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें और विधि-विधान से पूजा करें.
- गाय के खुरों पर हल्दी और तेल लगाकर आरती उतारें.
- गाय के माथे पर रोली और चंदन लगाएं और उन्हें गुड़, हरा चारा या रोटी का प्रसाद खिलाएं.

