Ganesh Chaturthi 2025: भाद्रपद मास का कृष्ण पक्ष अब समापन की ओर है और इसके साथ ही महत्वपूर्ण पर्वों की शुरुआत होने जा रही है. कुशोत्पाटिनी अमावस्या 23 अगस्त को मनाई जाएगी. अमावस्या तिथि शुक्रवार सुबह 11:37 बजे से शुरू होकर शनिवार सुबह 11:07 बजे तक रहेगी. चूंकि शुक्रवार को मध्याह्न व्यापिनी अमावस्या का संयोग बन रहा है, इसलिए इस दिन श्रद्धा अमावस्या का विशेष महत्व है. शनिवार को स्नान-दान की अमावस्या रहेगी, जब खेतों से कुश निकालने और संग्रह करने की परंपरा निभाई जाती है. वर्षभर में केवल इसी दिन कुश निकालना शुभ माना जाता है, इसी कारण इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है.
24 अगस्त से भाद्रपद शुक्ल पक्ष का आरंभ होगा. इस दिन सुबह 11:06 बजे तक प्रतिपदा तिथि रहेगी, जिसके बाद द्वितीया शुरू हो जाएगी. इसी दिन चंद्र दर्शन का योग भी बनेगा. आने वाले पखवाड़े में हरितालिका तीज, चौठ चंद, गणेश पूजा, अनंत चतुर्दशी और करमा एकादशी जैसे प्रमुख व्रत-त्योहार धूमधाम से मनाए जाएंगे.
ये भी पढ़ें: गणेश चतुर्थी कब से शुरू, जानें गणपति बप्पा की स्थापना का दिन
6 सितंबर 2025 तक गणेशोत्सव
गणेश पूजा की शुरुआत 27 अगस्त से होगी. इस दिन दोपहर 2:06 बजे तक चतुर्थी तिथि रहेगी. गणेशोत्सव का 10 दिवसीय पर्व 6 सितंबर तक मनाया जाएगा. इसी दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत भी रहेगा. रात 12:57 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी, जिसके बाद पूर्णिमा आरंभ होगी. सात सितंबर को स्नान-दान और व्रत की पूर्णिमा मनाई जाएगी.
26 अगस्त को हरितालिका तीज और चौठ चंद
26 अगस्त को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाएगा. इस दिन दोपहर 12:39 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी. उदयकाल में तृतीया और हस्त नक्षत्र के संयोग से यह दिन तीज व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. पूरे दिन हस्त नक्षत्र होने के कारण महिलाएं भगवान शिव-पार्वती की विधिवत पूजा कर सकेंगी. शाम को चौठ चंद की पूजा भी की जाएगी. इस दिन चंद्रास्त रात 8:06 बजे होगा. मिथिला और आसपास के क्षेत्रों में यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है. महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास रखकर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करती हैं और परिवार की मंगलकामना करती हैं. इस बार तीज और चौठ चंद एक साथ पड़ने से व्रतधारिणियों को विशेष लाभ मिलेगा. ज्योतिषाचार्य पंडित कौशल कुमार मिश्र के अनुसार, हस्त नक्षत्र 26 अगस्त को पूरे दिन और रात रहेगा तथा 27 अगस्त की सुबह 5:56 बजे समाप्त होगा. ऐसे में भक्तों को पूजा-पाठ के लिए पर्याप्त समय प्राप्त होगा.
तीन सितंबर को करमा एकादशी
तीन सितंबर को करमा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा, जिसे पदमा एकादशी भी कहा जाता है. झारखंड में इस अवसर पर करमा पर्व अत्यंत धूमधाम से आयोजित होता है. इसके बाद, 4 सितंबर को वामन द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन मिथिला क्षेत्र में भगवान इंद्र की पूजा की जाती है, वहीं मलयाली समाज ओणम का पर्व धूमधाम से मनाता है. इसी दिन से ओणम के 10 दिवसीय उत्सव की शुरुआत भी होगी.

