Chhath Puja 2025: छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और इस दिन कद्दू-भात का प्रसाद बनाना अनिवार्य माना जाता है. मान्यता है कि व्रत की प्रारंभिक विधि कद्दू-भात के बिना अधूरी मानी जाती है. यह परंपरा सिर्फ धार्मिक कारणों से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहद लाभकारी मानी गई है.
क्या है धार्मिक महत्व?
छठ पूजा में कद्दू और चने की दाल का सेवन गहरी आस्था और परंपरा से जुड़ा है. कद्दू को मां का प्रतीक माना जाता है और इसे शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. चने की दाल व्रतियों के लिए पवित्र भोजन है, जो पूजा की शुरुआत में शरीर और मन को शुद्ध करता है. नहाय-खाय के दिन इनका प्रसाद लेने से व्रती भगवान छठी मैया की विशेष कृपा पाते हैं और पूरे व्रत के दौरान सफलता और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
सेहत के लिए लाभकारी होता है कद्दू-भात
- कद्दू को शुद्ध और पवित्र खाद्य माना गया है
- यह शरीर को व्रत की शुरुआत में ऊर्जा देता है
- पाचन आसान होता है, जिससे आगे का व्रत निभाने में ताकत मिलती है
- चना दाल, लौकी और चावल के साथ यह प्रसाद पोषण से भरपूर होता है
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नहाये खाय के दिन क्यों खाते हैं चने की दाल
- छठ पूजा के पहले दिन चने की दाल खास रूप से पकाई जाती है. व्रती इसे बिना प्याज-लहसुन के बनाकर खाते हैं, क्योंकि यह भोजन पूरी तरह सात्विक माना जाता है. यह शरीर को हल्का रखते हुए जरूरी ताकत भी देता है, जिससे आगे के कठिन व्रत निभाने में मदद मिलती है.
- चने की दाल में प्रोटीन, आयरन और विटामिन बी प्रचुर मात्रा में होते हैं. यही वजह है कि यह सेहत के साथ ऊर्जा भी बढ़ाती है. कद्दू या लौकी की सब्जी और चावल के साथ इसका सेवन पाचन को भी बेहतर बनाता है.
कद्दू में मौजूद हैं जरूरी पोषक तत्व
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कद्दू में, विटामिन A, E और C, एंटीऑक्सिडेंट, हेल्दी फैटी एसिड की भरपूर मात्रा पाई जाती है. यह शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने और पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है.
मान्यता के अनुसार….
कहा जाता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से व्रती को दिव्य शक्ति मिलती है और छठी मईया पूरे परिवार की सेहत और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
क्या कद्दू-भात में लहसुन-प्याज इस्तेमाल किया जा सकता है?
नहीं, इस दिन पूरी तरह सात्विक प्रसाद ही बनाया जाता है.
कद्दू में कौन-कौन से पोषक तत्व होते हैं?
कद्दू में विटामिन A, C, E, एंटीऑक्सिडेंट और हेल्दी फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाते हैं.
क्या नहाय-खाय का भोजन पवित्र बर्तनों में बनाना जरूरी है?
हां, प्रसाद पीतल, कांसा या मिट्टी के बर्तनों में बनाने का विधान है. इससे भोजन पवित्र माना जाता है.
क्या घर के सभी सदस्य यह प्रसाद खा सकते हैं?
हां, व्रती के साथ पूरा परिवार यह प्रसाद ग्रहण करता है और शुभ फल प्राप्त करता है.
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