Chhath Puja 2025 Arag Time: आज 27 अक्टूबर 2025 सोमवार को छठ महापर्व का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है. आज शाम व्रती महिलाएं डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी. वैसे तो कई व्रतों और त्योहारों में उगते सूर्य की पूजा की जाती है, लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल छठ पर्व में ही है. यही कारण है कि इस दिन का विशेष महत्व है.
संध्या अर्घ्य से पहले व्रती महिलाएं बड़ी श्रद्धा से बांस की टोकरी (डाला) को सजाती हैं. इसमें ठेकुआ, केले, नारियल, सेब, चावल के लड्डू, गन्ना और अन्य पूजा सामग्री रखी जाती है. फिर परिवार के सभी सदस्य घाट या तालाब किनारे एकत्र होते हैं. सूर्यास्त से कुछ समय पहले व्रती महिलाएं सूर्य देव की आराधना करती हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद वे पांच बार परिक्रमा करती हैं और सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती हैं.
27 अक्टूबर 2025 को छठ पूजा का शुभ समय और सूर्योदय-सूर्यास्त का विवरण
छठ पूजा का मुख्य दिन 27 अक्टूबर 2025, सोमवार को पड़ेगा. इस दिन श्रद्धालु व्रती महिलाएं उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी. दिल्ली में इस दिन का सूर्योदय सुबह 6:30 बजे और सूर्यास्त शाम 5:40 बजे होगा. इसी समय घाटों पर व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करेंगी.
षष्ठी तिथि का समय
- छठ पूजा की मुख्य पूजा षष्ठी तिथि को ही की जाती है.
- षष्ठी तिथि की शुरुआत: 27 अक्टूबर सुबह 6:04 बजे से
- षष्ठी तिथि का समापन: 28 अक्टूबर सुबह 7:59 बजे तक
- इस दौरान ही संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को) और अगले दिन प्रातः अर्घ्य (उगते सूर्य को) की पूजा की जाएगी.
छठ पूजा के शुभ मुहूर्त (दिल्ली समयानुसार)
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:47 से 5:38 बजे तक
(इस समय ध्यान और मंत्र जाप सबसे शुभ माना जाता है)
प्रातः संध्या पूजा: सुबह 5:13 से 6:30 बजे तक
(सूर्योदय से पहले की तैयारी और स्नान का श्रेष्ठ समय)
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:42 से 12:27 बजे तक
(किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए उत्तम समय)
गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:40 से 6:06 बजे तक
(इस समय सूर्यास्त के पहले और बाद का पल अत्यंत पवित्र माना गया है)
सायाह्न संध्या पूजा: शाम 5:40 से 6:57 बजे तक
(डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय इसी अवधि में रहेगा)
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छठ पूजा का सूर्य मंत्र
अर्घ्य देते समय इस पवित्र सूर्य मंत्र का तीन बार उच्चारण करना अत्यंत फलदायक माना गया है —
“ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते.
अनुकम्पया मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकरः॥”
इस मंत्र का अर्थ है —
“हे सहस्त्र किरणों वाले तेजस्वी सूर्यदेव! कृपा करके मेरी भक्ति से अर्पित यह अर्घ्य स्वीकार करें.”

