Chaitra Navratri 2025, उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर: चैत्र नवरात्र का कलश स्थापना 30 मार्च को किया जायेगा. इस बार कलश स्थापना ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सूर्यास्त से पूर्व तक का है. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11. 53 से दोपहर 12.48 तक का है. नवरात्रि के दौरान भक्त अपने घरों या मंदिरों में पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं. साथ ही कई लोग नौ दिन का व्रत भी रखते हैं. चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन देवी दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जायेगी. इसी तरह दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा और फिर कुष्मांडा, स्कंदमता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की उपासना की जायेगी.
चैत्र नवरात्र में विभिन्न देवी की पूजा
30 मार्च – मां शैलपुत्री
31 मार्च – ब्रह्मचारिणी
1 अप्रैल – मां चंद्रघंटा
2 अप्रैल – मां कूष्मांडा
3 अप्रैल – मां कात्यायिनी
4 अप्रैल – मां कालरात्रि
5 अप्रैल – महागौरी
6 अप्रैल – मां सिद्धिदात्री
6 अप्रैल को मनाया जायेगा रामनवमी
इस वर्ष रामनवमी 6 अप्रैल को है. इस दिन पूजन का विशेष मुहूर्त दोपहर 12.02 से 2:29 तक है. कर्क लग्न मध्याह्न काल के शुभ मुहूर्त में श्रीराम के जन्म का उत्सव मनाया जायेगा और भगवान को मिष्ठान और फूल अर्पित कर मंगल गीत गाये जायेंगे. इस दिन पूरे देश भर में श्रीराम जन्मोत्सवों की धूम रहती है. साथ ही यह दिन अंतिम नवरात्र होने के कारण भी काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दिन देवी की विशिष्ट पूजा, हवन और कन्या पूजन भी किया जाता है.
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तीन अप्रैल को व्रती करेंगी चैती छठ
लोक आस्था के चार दिवसीय चैती छठ पूजा की शुरुआत एक अप्रैल को नहाय खाय से होगी. इस दिन व्रती चैती छठ का संकल्प लेंगे. अगले दिन दो अप्रैल को खरना के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत करेंगे. इसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ तीन अप्रैल को देंगे और चौथे दिन चार अप्रैल को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ देने के साथ ही यह पूजा समाप्त होगी
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