Bhadrapad Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है. यह दिन मुख्य रूप से पितरों को समर्पित होता है. भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या या पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य करने की परंपरा है.
कब है भाद्रपद अमावस्या ?
वर्ष 2025 में भाद्रपद अमावस्या कल यानी 23 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है. शनिवार को आने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाएगा. इस दिन पितरों के साथ-साथ शनिदेव की पूजा-अर्चना करने से पितृ कृपा प्राप्त होती है और शनि दोष से मुक्ति मिलती है.
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भाद्रपद अमावस्या 2025 स्नान-दान मुहूर्त
भाद्रपद अमावस्या के दिन स्नान और दान का शुभ समय प्रातः 4 बजकर 26 मिनट से लेकर 5 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में किया गया स्नान, दान और तर्पण विशेष फल प्रदान करता है.
भाद्रपद अमावस्या 2025 पूजा विधि
इस दिन प्रातः काल पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. इसके पश्चात भगवान शिव और श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना करें. पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें तथा जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है. कुछ स्थानों पर इस दिन देवी लक्ष्मी का भी पूजन होता है. साथ ही, सुहागिन महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा कर व्रत करती हैं.
भाद्रपद अमावस्या का महत्व
भाद्रपद अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुशा एकत्र करना अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि यदि यह अमावस्या सोमवार को पड़े तो उस दिन एकत्रित की गई कुशा बारह वर्षों तक उपयोगी रहती है. यह तिथि स्नान, दान और तर्पण के लिए अत्यंत मंगलकारी और फलदायी होती है.

