सद्गुरुश्री स्वामी आनंद जी
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नवीन तकनीक के विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ है पूर्व दिशा
सद्गुरुश्री स्वामी आनंद जी ज्योतिषीय सवाल-जवाब पर आधारित यह नया कॉलम आपकी समस्याओं का समाधान बतायेगा. इसके लिए पाठकों के सवाल आमंत्रित हैं. Qमल-मूत्र का सपना बार-बार आता है. इसके अशुभ प्रभाव मुक्ति के लिए क्या करूं? प्रार्थना तिवारी, धनबाद स्वप्न शास्त्र के अनुसार सूर्योदय से सिर्फ़ 92 मिनट पहले के ही स्वप्न को भविष्य […]
ज्योतिषीय सवाल-जवाब पर आधारित यह नया कॉलम आपकी समस्याओं का समाधान बतायेगा. इसके लिए पाठकों के सवाल आमंत्रित हैं.
Qमल-मूत्र का सपना बार-बार आता है. इसके अशुभ प्रभाव मुक्ति के लिए क्या करूं?
प्रार्थना तिवारी, धनबाद
स्वप्न शास्त्र के अनुसार सूर्योदय से सिर्फ़ 92 मिनट पहले के ही स्वप्न को भविष्य के संकेत के रूप में देखा जा सकता है. हालांकि विज्ञान इसे स्वीकार नहीं करता. जहां तक मल-मूत्र के स्वप्नों का संबंध है, स्वपन शास्त्र इसे बेहद शुभ और आनंद प्राप्ति से जोड़ कर देखता है. यह अनिष्ट नहीं, सुख प्राप्ति का संकेत है. मान्यताओं के अनुसार इस प्रकार के स्वप्न आनेवाले दिनों में धन और संपत्ति प्राप्ति की ओर इशारा करते हैं.
Qकृपया विस्तार से बताएं कि काला रंग अशुभ क्यों होता है?
प्रकाश नारायण, चाकुलिया
कोई भी रंग सबके लिए सार्वभौमिक रूप से शुभ या अशुभ हर्गिज नहीं हो सकता. ऐसी मान्यताएं देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती हैं. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार काले रंग का संबंध शनिदेव से है. यदि कुंडली में शनि तृतीय, षष्ठ या एकादश भाव में आसीन हो तो काला रंग बेहद शुभ फलदायक बन जाता है. पर यदि शनि अष्टम और द्वादश भाव में हों, तो काला रंग कष्ट का कारक बन सकता है. अतः इस रंग पर ही नहीं, बल्कि किसी भी रंग पर एक तरफा शुभ-अशुभ का लेबल चस्पा नहीं किया जा सकता. प्रचलित मुंहबोली बातों, संदेहों और धारणाओं का अक्सर कोई आधार नहीं होता.
Qक्या पश्चिम की तरफ मुख करके पढ़ने से प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलता हाथ लगती है?
अक्षत सहाय, हजारीबाग
नहीं, बिल्कुल नहीं. यह अवधारणा सही नहीं है. अध्ययन में सफलता के लिए दिशा से ज्यादा मस्तिष्क की एकाग्रता जिम्मेदार है, पर पश्चिम दिशा ऐश्वर्य और आराम के साथ आलस्य की भी दिशा है. इसलिए संभव है कि इस ओर मुख करके अध्ययन करने से एकाग्रता में मामूली-सी भी कमी शरीर में आलस्य भर कर परिणाम को प्रभावित कर सकती है. ज्ञान, नये विचारों के प्रतिपादन या नवीन तकनीक के विकास के लिए पूर्व दिशा सर्वश्रेष्ठ है. यह दिशा ज्ञान और नवीन विचारों की दिशा मानी जाती है, पर बेहतर अंकों के लिहाज से उत्तर की दिशा उत्तम है, ऐसा वास्तु के सिद्धांत कहते हैं.
Qक्या घर में संगमरमर फर्श का होना अशुभ है? किसी ने कहा है कि सिर्फ मंदिर में ही संगमरमर लगाना चाहिए.
विपिन सिंह, पाकुड़ : प्रत्यक्ष रूप से वास्तु के नियम तो ऐसी कोई ताकीद नहीं करते. किसी भी फर्श का चुनाव उपलब्धता, उपयोगिता, रख-रखाव सहित व्यक्तिगत दायरों के तहत होता है. वास्तु के सिद्धांत उत्तर-पूर्व में चमकीली फर्श और दक्षिण-पूर्व में चमक रहित गहरे रंग के फर्श की अनुशंसा करते हैं.
सिर्फ मंदिर में संगमरमर के प्रयोग की बात पूर्णतया असत्य, अतार्किक और अवैज्ञानिक है. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ठंडे स्थानों में मंदिरों में लकड़ी से बने फर्श का प्रयोग भी होता रहा है.
देव गुरु वृहस्पति यदि जन्म कुंडली के सुख भाव यानी चतुर्थ भाव में हों, तो अच्छा करियर और उत्तम भविष्य प्रदान करते हैं, पर यदि वह पंचम भाव में बैठ जायें, तो प्रेम संबंधों पर कुठाराघात करते हैं. ऐसे लोगों के कई संबंध टूट सकता है और दाम्पत्य जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
उपाय, जो जीवन बदले : प्राचीन ग्रंथ कहते हैं कि उपासना के समय वातावरण को सुगंधित रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. मुख्यद्वार के अंदर और बाहर हल्दी व केसर का स्वास्तिक आंतरिक भय को नष्ट करता है, ऐसा परंपराएं मानती हैं.
यदि आपकी कोई ज्योतिषीय, आध्यात्मिक या गूढ़ जिज्ञासा हो, तो आप अपनी जन्म तिथि, जन्म समय व जन्म स्थान के साथ कम-से-कम शब्दों में हमें अपना प्रश्न saddgurushri@gmail.com पर भेजें. सब्जेक्ट लाइन में ‘प्रभात खबर’ जरूर लिखें. चुनिंदा सवालों के जवाब प्रकाशित किये जायेंगे.
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