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1947 का दंगा : इंजमाम उल हक के परिवार को हिंदू गोयल ने दी थी शरण, याकूब ने सुनील दत्त के परिजनों को सुरक्षित रखा

Partition Of India And Pakistan : 1947 के विभाजन में भारी हिंसा हुई थी, लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं, जिन्होंने यह साबित किया कि इंसानित से ऊपर कोई धर्म नहीं है. इसका प्रमाण देने के लिए पाकिस्तान के क्रिकेटर इंजमाम उल हक और मशहूर फिल्म अभिनेता सुनील दत्त खुद सामने आए थे. इन दोनों सेलिब्रेटी ने यह बताया था कि किस तरह उसके परिवार की जान 1947 के दंगा में हिंदू और मुसलमान ने बचाई थी. गांधी जी खुद दंगाग्रस्त नोआखाली का दौरा किया और लोगों को हिंसा करने से रोका था.

Partition Of India And Pakistan : भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ विभाजन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी है, इसमें सबसे अधिक संख्या में लोगों का माइग्रेशन यानी जन स्थानांतरण था. इस विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए और लगभग 10 लाख लोगों की मौत इस विभाजन के दौरान हुई हिंसा में हुई थी. हालांकि भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान कुल कितने लोग मारे गए थे इसका कोई अधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है, लेकिन जिस तरह के दंगे हुए और जो लाशें मिलीं उनके आधार पर यह आंकड़े बताए जाते हैं. भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान हिंसा के लिए क्रूरतम तरीके अपनाए गए, लोगों की आंख निकाली गई, हैवानियत की हद पर जाकर हत्या की गई, औरतों के साथ दुष्कर्म हुआ और ना जाने क्या-क्या हुआ. यह तो बात हुई हैवानियत की, लेकिन इंसानियत के भी कई अनोखे उदाहरण उस दौरान देखने को मिले, जब हिंदुओं ने मुसलमानों को और मुसलमानों ने हिंदुओं को बचाया और इसके लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की.

इंजमाम उल हक का परिवार आज तक नहीं भूल पाया गोयल परिवार के एहसान को

पाकिस्तानी क्रिकेटर इंजमाम उल हक का परिवार विभाजन से पहले हरियाणा के हिसार जिले के हांसी में रहता था. दंगे के दौरान उन्हें पुष्पा गोयल नाम की एक महिला के घर में शरण मिली थी, तब जाकर इंजमाम के पिता पीर इंतिजाम उल हक और उनकी पत्नी जिंदा बच पाए थे. इंजमाम उल हक की कहानी कुछ इस तरह की है कि वे एक बार भारत आए हुए थे, तब एक लड़के ने उनसे मिलकर अपनी मां पुष्पा गोयल का फोन नंबर दिया और यह कहा था कि वे ये नंबर अपने माता-पिता को दें. उस वक्त इंजमाम उल हक उस लड़के की बात को समझ नहीं पाए थे, लेकिन जब उन्होंने वह नंबर अपने माता-पिता को दिया, तो उन्हें असली कहानी पता चली. पुष्पा गोयल हांसी की ही रहने वाली थी, जहां इंजमाम के माता-पिता विभाजन से पहले रहा करते थे. विभाजन के दंगे के दौरान पुष्पा गोयल के परिवार ने इंजमाम उल हक के परिवार को अपने घर पर शरण दी थी और उनके लिए सुरक्षित पाकिस्तान जाने का इंतजाम कराया था. इसी वजह से इंजमाम के पिता पीर इंतिजाम उल हक आज भी पुष्पा गोयल और उसके परिवार वालों के शुक्रगुजार हैं. इंजमाम उल हक एक बार अपने पूर्वजों के गांव हांसी जाना चाहते हैं उन्होंने एक इंटरव्यू में इस बात को जाहिर भी किया है, लेकिन उन्हें पीसीबी ने इसकी इजाजत नहीं दी थी. एक मैच के दौरान उन्होंने रोते हुए टीवी के माध्यम से यह बात कही थी और हांसी के लोगों से पूछा था कि क्या उन्हें हांसी का पीर इंतिजाम उल हक याद है?

सुनील दत्त के परिवार को याकूब ने दी थी सहायता

मशहूर अभिनेता सुनील का परिवार भी विभाजन के दौरान पाकिस्तान में फंस गया था और उनके लिए वहां से निकल पाना मुश्किल था. सुनील दत्त ने रेडिफ को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उनका परिवार झेलम के खुर्द गांव में रहता था. उस गांव में हिंदुओं से ज्यादा मुसलमानों की आबादी थी, लेकिन उनके परिवार को कभी किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई थी. विभाजन के बाद उनका परिवार हिंदुस्तान आ रहा था, उस वक्त उनका परिवार दंगाइयों के हत्थे चढ़ जाता, अगर याकूब नाम का युवक उनके परिवार को ना बचाता. याकूब ने ना सिर्फ सुनील दत्त के परिवार को बचाया था, बल्कि उनके पूरे परिवार को भारत भेजन की व्यवस्था भी की थी. बाद में 50 साल बाद सुनील दत्त पाकिस्तान गए थे, तब उन्होंने वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से वहां जाने की इच्छा के बारे में बताया था, तब वे वहां जा पाए थे. सुनील दत्त ने बताया था कि वे चाहते थे उनकी पत्नी नरगिस भी वहां जा पाए, लेकिन अफसोस उन्हें यह मौका नहीं मिला.

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हरिजन बाबा जिन्होंने मुस्लिम महिलाओं को शरण दिया और उन्हें पाकिस्तान पहुंचाया

भारत विभाजन के दौरान लाखों हिंदू-मुस्लिमान महिलाओं का अपहरण हुआ था. इनमें से सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं को हरिजन बाबा नाम के व्यक्ति ने अपने यहां शरण दी और फिर उन्हें पाकिस्तान भेजने का इंतजाम कराया. हरिजन बाबा की कहानी मुस्लिम महिलाओं ने ही सुनाई है और बताया कि किस तरह उन्होंने उन औरतों को शरण दी और उन्हें सुरक्षित सीमापार भेजा. स्वामी सारूपानंद ने विभाजन के दौरान दिल्ली में अपने नरेला आश्रम में मुसलमान किसानों को शरण दी. उन्होंने इन्हें दंगाइयों से बचाया था. इसी तरह डॉ पुरुषोत्तम दत्त और डॉ नारायण दत्त ने अस्पताल में घायल मुसलमानों की रक्षा की और उनकी रक्षा के लिए अपनी बंदूक निकाल ली थी और कहा था कि उनके जीवित रहते इन घायल मुसलमानों का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाएगा.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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