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Mughal Harem Stories 6 : हरम में रहने वाली औरतें राजा या मालिक की संपत्ति होती थीं, जिन्हें वो जैसे चाहता इस्तेमाल करता था. इन औरतों को ना तो अपनी इच्छा प्रकट करने की छूट थी और ना ही उसके अनुसार व्यवहार करने की. इतिहासकार किशोरी शरण लाल ने The Mughal Harem में लिखा है कि पुरुषों को अपने लिए सुख या आनंद तलाशने की तो उस काल में छूट थी, लेकिन महिलाओं पर बंदिश थी. लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि महिलाओं ने हरम के अंदर अपने लिए सुख की तलाश की भले ही वह चोरी छिपे प्राप्त किया गया सुख था.
महिलाओं पर रखी जाती थी खास निगरानी
हरम में जब कोई महिला आती थी, चाहे वह विवाह के जरिए आए, उसका जन्म वहां हो, वह खरीद कर वहां लाई गई हो या उपहार स्वरूप वहां लाई गई हो, उनपर खास निगरानी रखी जाती थी. उन्हें पुरुषों के संपर्क से अलग रखा जाता था और उनकी पवित्रता का भी खास ध्यान रखा जाता है. कमरों का दरवाजा बाहर से बंद रहता था और महिलाओं की स्वतंत्रता का एक तरह से कोई मोल नहीं था.अगर कोई महिला अपनी पसंद-नापसंद का जिक्र करती थी, तो उन्हें कठोर सजा दी जाती थी. कभी-कभी तो उन्हें मृत्युदंड भी दिया जाता था.
हरम में बादशाह के अलावा सिर्फ पुरुष चिकित्सक को ही मिलती थी एंट्री
हरम में पाबंदियां इतनी थीं कि बादशाह के अलावा सिर्फ पुरुष चिकित्सक ही प्रवेश प्राप्त कर सकते थे. चिकित्सक मनुची ने लिखा है कि जब वे महिलाओं के इलाज के लिए हरम में जाते थे, तो महिलाएं पर्दे से ही अपना हाथ बाहर करती थीं और उन्हें उनका इलाज करना होता था. महिलाएं चिकित्सक से बहुत अच्छे से पेश आती थीं, क्योंकि वह एकमात्र पुरुष होता था, जो उनके संपर्क में आता था, भले ही तमाम बंदिशें होती थीं. कई बार महिलाएं हंसी-ठिठोली भी करती थीं. मनुची ने लिखा है कि एक बार एक महिला ने एक बोतल में मूत्र भिजवाया और उनसे पूछा कि यह व्यक्ति किस बीमारी से ग्रस्त है, तो मनुची ने जवाब दिया कि इसने कल कोई हरी चीज खाई है, दरअसल वह गाय का मूत्र था. महिलाएं चिकित्सक के जवाब पर हंसी और उन्हें महान चिकित्सक करार दिया. कई बार राजकुमार सुरक्षा जांच भी करते थे और अपना हाथ देकर चिकित्सक की जांच करते थे.
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खानजाद और सलातीन को हरम में मिलती थी एंट्री

खानजाद यानी परिवार के लड़के और सलातीन जो रईस होते और जिनका शाही घराने से रिश्ता होता था वे भी हरम में प्रवेश पाते थे. खानजाद चूंकि बचपन में वहां रहते थे और बड़े होने के बाद उनका प्रवेश रोका गया, लेकिन वह पूरी तरह से बंद नहीं था, जिसकी वजह से वे वहां आते-जाते थे और उनका राजकुमारियों और अन्य महिलाओं से प्रेम संबंध भी विकसित हुआ था.
राजकुमारियों के प्रेमी हिजड़े और दासियों की मदद से हरम में करते थे प्रवेश
तमाम निगरानी के बाद भी जहांआरा और रोशनआरा जैसी राजकुमारियों ने अपने प्रेमियों को हरम में बुलवाया और उनका प्रेम परवान भी चढ़ा. बेशक यह काम उन्होंने अपने विश्वास हिजड़ो और दासियों की मदद से करवाया. यह भी एक सच्चाई है कि हरम में महिलाएं एक दूसरे से ईर्ष्या बहुत करती थीं, जिसकी वजह से इन प्रेमियों को अंजाम अकसर बहुत बुरा हुआ, बावजूद इसके महिलाओं ने अपनी इच्छाओं को मारा नहीं और वे चोरी-छिपे अपनी इच्छाओं को पूरा करती रहीं. उस काल में बादशाह ने हरम की सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उन लोगों के लिए खास पुरस्कार और पद की व्यवस्था कर रखी जो राजकुमारियों और सुंदर महिलाओं का प्रेम प्रस्ताव अस्वीकार कर दे.
रात को मिलते थे प्रेमी जोड़े
मुगल काल में रात प्रेमियों के लिए वरदान थी, क्योंकि इसी वक्त वे किसी तरह मिल सकते थे. इसकी वजह यह थी कि मुगल काल में रात को रोशनी की व्यवस्था बहुत सीमित थी. चूंकि उस काल में तेल और माचिस भी नहीं होते थे, इसलिए एक ही आग से कई आग जलाई जाती थी. रात को जब हरम का दरवाजा बंद कर दिया जाता था तो मशालें भी काफी कम ही जलती थी, इस अंधेरे में विश्वासपात्रों की मदद से महिलाएं अपने प्रेमियों को बुलाती थीं, हालांकि यह बहुत ही जोखिम भरा काम था क्योंकि पकड़े जाने पर सजा मौत ही थी.
खेल, जेवर,कपड़े और शराब में महिलाएं तलाशती थीं सुख
चूंकि हरम के अंदर महिलाएं बंद रहती थीं इसलिए अपनी खुशी की तलाश वे खेलों में करती थीं, जिसकी व्यवस्था वहां थी. इसके अलावा वे महंगे कपड़े और जेवरात भी खूब मंगवाती थीं और उन्हें पहनती भी थीं. इसके अलावा जिस चीज में महिलाएं अपनी खुशी तलाशती थीं वो थी शराब. कई यात्रियों ने इसपर लिखा है कि हरम की महिलाएं शराब का सेवन करती थीं. फ्रांसीसी बर्नियर ने भी इस बात का जिक्र किया है कि औरंगजेब ने शराब पर प्रतिबंध लगाया लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुआ.
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