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Mughal Harem Stories : मुगल काल में हरम का निर्माण बादशाह के लिए सुख की खोज के उद्देश्य से किया गया था. हरम में राजा अपनी पत्नियों, उपपत्नियों और खरीद कर लाई गई महिलाओं और नर्तकियों के साथ समय गुजार कर खुश होता था. इसमें कोई दो राय नहीं है कि मुगल बादशाहों ने जिस उद्देश्य से हरम की स्थापना की थी, वह पूरी तरह सफल रही थी. मुगल काल में शाहजहां ने अपनी मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया था, उनके बारे में इतिहासकार किशोरी शरण लाल अपनी किताब The Mughal Harem में लिखते हैं कि शाहजहां महिलाओं में गहरी रुचि रखता था और उसके हरम में हजारों महिलाएं थीं. यह प्रेम के विचित्र स्वरूप को बताता है.
मुगल हरम की एक और खास बात थी जिसका जिक्र करते हुए किशोरी शरण लाल लिखते हैं कि मुगलों ने अपने हरम में चाहे सैकड़ों-हजारों औरतों को रखा था, लेकिन वे किसी भी दूसरे शासन के बड़े हरम से जलते थे. किशोरी शरण यह भी लिखते हैं कि मुगलों को शराब और अफीम की इतनी बुरी आदत थी कई बार वे आपे से बाहर भी हो जाते थे. औरंगजेब को नशे के मामले में सबसे संयमित शासक माना जा सकता है.
औरतों में मुगलों की थी खास रुचि

औरंगजेब जैसा क्रूर शासक भी औरतों के प्रति आसक्ति रखता था. जहांगीर के बारे में किशोरी शरण लाल लिखते हैं कि जहांगीर ने अपनी पत्नियों और रखैलों की संख्या और विवाह की तारीखों से यह अनुमान लगाता है कि वह लगभग हर महीने किसी न किसी राजकुमारी से विवाह करता था. मुगल व्यवस्था में विवाह तो अनगिनत थे, लेकिन उन विवाह का महत्व बहुत कम था. विवाहित पत्नियां मजबूर थीं और अपनी स्थिति से समझौता कर चुकी थीं, क्योंकि उन्हें यह पता था कि वे चाहकर भी बादशाह को बदल पाएंगी. हां, यह जरूर संभव था कि अगर वे बादशाह की राह में रोड़ा बनती, तो उन्हें कदमों की चोट से हरम से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता या फिर उनकी मौत निश्चित थी. दरअसल मुगल शासक शादी से अलग आनंद लेने के शौकीन थे. पत्नियों के अलावा जो औरतें उन्हें नजर आती थीं, उनके साथ आनंद की तलाश में वे हमेशा रहते थे. मुगल कालीन एडवर्ट टेरी ने लिखा है -वेश्याएं कभी-कभी कहती हैं कि वह (पति, कुलीन या राजा) अपनी पत्नी से प्रेम नहीं कर सकता, चाहे वह कितनी भी मिलनसार या प्यारी क्यों न हो,इसकी वजह सिर्फ यह है कि वह उसकी पत्नी है.
दूसरे शासकों के बड़े हरम से ईर्ष्या करते थे मुगल
मुगलों की अय्याशी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके हरम में हजारों महिलाएं होती थीं. बड़ा हरम होना उनके शान का विषय था, लेकिन यही मुगल शासक दूसरे राजाओं और शासकों के बड़े हरम से नाराज रहते थे. वे उनका अपमान करते थे. संभवत: उन्हें अपने हरम को लेकर बहुत गुमान था, जहां देश-विदेश की हजारों महिलाएं एक संयुक्त परिवार की तरह रहती थीं. हालांकि षडयंत्रों का दौर यहां जारी रहता था.
मुगल शासक शराब और अफीम की बुरी लत में थे
आमतौर पर सभी मुगल बादशाह और राजकुमार शराब और अफीम के आदी थे. मुगल राजाओं के नशे का शिकार होने की एक बड़ी वजह यह भी थी कि वे अपनी उम्र को धोखा देना चाहते थे. हालांकि उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं था कि वे शराब और अफीम की चंगुल में हैं.मुगल बादशाह बाबर ने शराब और अफीम का आदी था. उसने अपनी किताबों में खुलकर इस बात का वर्णन किया है. हुमायूं अफीम का इतना आदी हो गया था कि वह दिनभर उनींदी स्थिति में ही रहता था. अकबर भी बहुत अधिक शराब पीता था और अफीम की अत्यधिक खुराक लेता था. कई बार वह इतना नशे में धुत हो जाता था कि उसे अपने पर काबू नहीं रहता था. हालांकि जहांगीर ने तंबाकू के बढ़ते उपयोग और इसके नुकसान को समझते हुए इसपर प्रतिबंध लगाया था. शाहजहां के समय तक इसका उपयोग व्यापक हो गया था. अत्यधिक शराब पीना पूरे मुगल परिवार के लिए अभिशाप था. अकबर के दो बेटे मुराद और दानियाल की मौत अत्यधिक शराब पीने की वजह से 28 और 32 साल की उम्र में हो गई थी. जहांगीर की तो यह स्थिति थी कि वह कई शराब मिलाकर कॉकटेल पीते थे. काबुल में उसने चट्टान में कटे हुए दो गोल बेसिन बनवाए थे, जिनमें से प्रत्येक में दो मन तरल आ सकता था. उसमें शराब भरकर जहांगीर पार्टी करता था.
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