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तंबाकू से तबाह होती जिंदगी

हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य लोगों को तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना है.

हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य लोगों को तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना है. उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में तंबाकू के सेवन से सालाना करीब दस करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, तंबाकू से हर वर्ष औसतन 80 लाख लोगों की मौत होती है. इनमें से 70 लाख मौतें सीधे तौर पर तंबाकू के सेवन से होती है.

जबकि 12 लाख लोगों की जान धूम्रपान करने वालों और उसके धुएं के संपर्क में आने से होती है. वहीं भारत में हर वर्ष 10.5 लाख मौतें तंबाकू पदार्थों के सेवन से होती हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 27 करोड़ से ज्यादा लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. दुनियाभर में तंबाकू का सेवन करनेवाले 13 करोड़ लोगों में से 80 प्रतिशत से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं. भारत में पान-मसाले का कारोबार करीब 42 हजार करोड़ रुपये का है, जिसके 2027 तक 53 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो जाने की उम्मीद है.

तंबाकू का सेवन सामाजिक, आर्थिक के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी खतरा बन चुका है. विश्व में हर वर्ष तंबाकू उगाने के लिए लगभग 35 लाख हेक्टेयर भूमि नष्ट हो रही है. चौरासी मेगाटन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन हो रहा है. इसके उत्पादों से हर वर्ष 10 हजार टन कचरा निकल रहा है. अनुमान है कि सिगरेट के टुकड़ों और बट से हर वर्ष करीब 76.6 करोड़ किलोग्राम हानिकारक कचरा पैदा हो रहा है.

तंबाकू की खेती में करीब दो करोड़ खेतिहर मजदूर लगे हुए हैं, जिनमें से 40 लाख तंबाकू की पत्तियां तोड़ने वाले और 85 लाख कर्मचारी इसके प्रसंस्करण, उत्पादन व निर्यात कारोबार में लगे हुए हैं. वहीं लगभग 72 लाख लोग तंबाकू के खुदरा कारोबार से जुड़े हैं. भारत दुनिया के 100 से ज्यादा देशों को तंबाकू निर्यात करता है. यह दुनिया में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक और निर्यातक देश है.

तंबाकू पत्तियों का कुल वैश्विक निर्यात कारोबार 12 अरब डॉलर का है, जिसमें भारत की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी है. फरवरी 2020 में तंबाकू के फैक्ट्री आउटपुट में साढ़े पांच प्रतिशत की बढ़त हुई है. अकेले तंबाकू उद्योग की वृद्धि कुल औद्योगिक उत्पादन से अधिक है.

तंबाकू की गिरफ्त में केवल युवा ही नहीं हर उम्र के लोग हैं. ऐसे में इस पर रोक के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है. चाहे किसी भी रूप में किया जाए, तंबाकू का सेवन सेहत के लिए हानिकारक ही है. कृषि मंत्रालय के पास तंबाकू किसानों के लिए अन्य फसल या वैकल्पिक जीवन यापन की योजनाएं हैं, जिस पर उसे गंभीरता से विचार करना होगा. चूंकि तंबाकू के कारोबार से बहुत से लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है, ऐसे में सरकार को इसका कोई सर्वमान्य हल निकालना होगा. हर समाधान और समझौते के केंद्र में तंबाकू किसानों, मजदूरों, छोटे कर्मचारियों और उनके परिवारों का मुकम्मल पुनर्वास सुनिश्चित करना होगा.

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