26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लैंगिक भेदभाव मिटाने की चुनौती

देश में सामाजिक जीवन के लगभग हर एक क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के बीच लैंगिक असमानता मौजूद है. इन असमानताओं को समाज में उनकी स्थिति और भूमिकाओं के आधार पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.

हर वर्ष 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है. नारी शक्ति को हर क्षेत्र में समान अधिकार दिलवाने के लिए ही यह दिवस मनाया जाता है. अब भी देश में सामाजिक जीवन के लगभग हर एक क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के बीच लैंगिक असमानता मौजूद है. इन असमानताओं को समाज में उनकी स्थिति और भूमिकाओं के आधार पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. काम में भागीदारी, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच, साक्षरता, संपत्ति, राजनीतिक एवं आर्थिक उत्पादन में भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण संकेतकों में महिलाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है. महिलाएं विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, फिर भी अब तक उन्हें परिवार और समाज में वह स्थान नहीं मिल सका है, जिनकी वे वास्तविक हकदार हैं.

अधिकांश महिलाएं केवल घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने वाली मां, बहन की भूमिका में ही देखी जाती हैं. उन्हें समानता की भूमिका में देखना बड़ी चुनौती है. हमारा समाज आरंभ से ही पुरुष प्रधान रहा है. सो हर काल में महिलाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. चाहे बात लालन-पालन की हो, शिक्षा या स्वास्थ्य की हो, पोषण, न्याय व स्वतंत्रता की हो, हर बार फैसला पुरुषों के पक्ष में ही होता है. हमारे परिवार में बाल्यावस्था से ही लड़के व लड़की में भेद किया जाता है, उनकी घरेलू भूमिकाओं में भी अंतर पाया जाता है. लड़कियों से अपेक्षा की जाती है कि वे घरेलू कार्यों में सहयोग करें. घर का मुखिया पुरुष होता है. महत्वपूर्ण निर्णय लेना एवं घर के बाहरी कार्यों को संपन्न करने का जिम्मा उनका होता है. जब शिक्षा प्राप्त कर महिला नौकरी प्राप्त करती है, तो यहां भी लैंगिक भेद देखने को मिलता है. महिलाओं की क्षमता पर अविश्वास किया जाता है.

बदलते परिवेश में आवश्यक है कि समाज महिलाओं के प्रति अपने पूर्वाग्रह और नकारात्मक रवैये में बदलाव लाए. उन्हें उचित सम्मान देकर उनकी ताकत और प्रतिभा को पहचाने. पुरुषों और महिलाओं को लैंगिक आधार पर नहीं, बल्कि अंतर्निहित क्षमताओं, योग्यताओं और रुचियों के आधार पर कार्य सौंपे जाएं. कामकाजी महिलाओं के प्रति परिवार में भी उदार और सहयोगात्मक रवैया अपनाया जाना चाहिए, ताकि वे बिना किसी तनाव के कार्यस्थल पर अपनी भूमिका निभा सकें. महिलाओं की स्थिति और उनके विकास के लिए संविधान ने कई अधिकार दिये हैं, लेकिन क्या उससे उनकी स्थिति में सुधार होगा, क्योंकि जो अधिकार उन्हें मिलने चाहिए, वे आज भी उनसे वंचित हैं. उनके जीवन में तभी प्रसन्नता आयेगी, जब उन्हें समाज में समानता का अधिकार प्राप्त होगा. महिलाओं के साथ किये जा रहे असमान एवं अमानवीय व्यवहार में बदलाव बेहद जरूरी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें