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सेमीकंडक्टर अभियान

देश में प्रतिष्ठित शोध संस्थानों को सेमीकंडक्टर डिजाइन और रिसर्च के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है.

प्रसिद्ध चिप निर्माता अमेरिकी कंपनी आइबीएम ने मार्च, 2021 में कहा था कि आप कभी भी ऐसे हालात में नहीं आना चाहेंगे, जहां कोई अन्य देश आपके उन बहुमूल्य संसाधनों को नियंत्रित करे, जिस पर आप पूरी तरह से निर्भर हैं. यही वजह है अमेरिकी सरकार सेमीकंडक्टर आपूर्ति के स्थायी समाधान हेतु 50 बिलियन डॉलर का निवेश करने जा रही है. दुनियाभर में सरकारें राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के नजरिये से भी चिप की अहमियत को समझ रही हैं.

भारत भी इस अभियान को तेजी से आगे बढ़ा रहा है. मसलन, अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों- एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल्स, कम्युनिकेशन, स्वच्छ ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी और मेडिकल डिवाइसेस आदि की कार्यप्रणाली सेमीकंडक्टर चिप आधारित है. चिप आपूर्ति के हालिया वैश्विक संकट के चलते अनेक देशों में कारोबारी गतिविधियां बाधित हुईं और लोगों का रोजगार भी छिना.

देश में घरेलू स्तर पर सेमीकंडक्टर डिजाइन और तकनीकी विकास के लिए भी तेजी से काम हो रहा है, ताकि आनेवाले समय में देश इसका वैश्विक हब बन सके. वैश्विक सेमीकंडक्टर कंपनियां भारत में डिजाइन, शोध एवं विकास के लिए केंद्रों की स्थापना भी कर रही हैं. दिसंबर, 2021 में केंद्र सरकार ने 76000 करोड़ रुपये की लागत से प्रोडक्शन-लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) योजना की घोषणा की थी, ताकि सेमीकंडक्टर उत्पादों की मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा मिले.

चिप की कमी से लगभग सभी प्रकार की औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं, लिहाजा चिप आपूर्ति में विविधता लाने की आवश्यकता है. इसका एक भूराजनीतिक कारण भी है. चिप मैनुफैक्चरिंग मुख्य रूप से ताइवान जैसे चुनिंदा देशों तक ही सीमित है, जिस पर चीन का खतरा बना हुआ है. सेमीकंडक्टर का दूसरा हब दक्षिण कोरिया है, वह भी पड़ोसी उत्तर कोरिया की हरकतों की जद में है.

बीते अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकंडक्टर पर केंद्रित कॉन्फ्रेंस ‘सेमीकॉन इंडिया 2022’ का उद्घाटन किया था, जिसका संदेश है कि चिप मैनुफैक्चरिंग को लेकर भारत गंभीरता से आगे बढ़ रहा है. मई में अबूधाबी की निवेश फर्म नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स और इजरायल की टावर सेमीकंडक्टर की संयुक्त इंटरनेशनल सेमीकंडक्टर कंसोर्टियम (आइएसएमसी) ने कर्नाटक के चिप फैब्रिकेटिंग प्लांट में तीन बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की थी. इसके अलावा ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक दिग्गज फॉक्सकॉन ने वेदांता ग्रुप के चेयरमैन के साथ मिलकर चिप मैनुफैक्चरिंग प्लांट की रूपरेखा तैयार की है.

अपेक्षाकृत अधिक खर्चीले चिप मैनुफैक्चरिंग के लिए अरबों डॉलर के निवेश, रॉ मैटीरियल और मजबूत अवसंरचना तैयार करने की जरूरत होती है. वर्तमान में स्थानीय चिप इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे उम्मीदें जगी हैं. देश में प्रतिष्ठित शोध संस्थानों को सेमीकंडक्टर डिजाइन और रिसर्च के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है. अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देकर न केवल आत्मनिर्भरता की राह मुकम्मल हो सकती है, बल्कि आर्थिक तरक्की और रोजगार सृजन का भी बेहतर मुकाम हासिल किया जा सकता है.

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