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नया शहरी भारत गढ़ते प्रधानमंत्री मोदी

PM Modi : शहरी कनेक्टिविटी की तस्वीर बदल गयी है. एनसीआर के जाम से भरे इलाकों को नयी बनी यूइआर-दो (दिल्ली की तीसरी रिंग रोड) से राहत मिल रही है, जो एनएच-44, एनएच-9 और द्वारका एक्सप्रेसवे को जोड़कर पुराने जाम के बिंदुओं को आसान बना रही है.

हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री

PM Modi : आजादी के दशकों बाद तक भारत के शहर एक उपेक्षित विचार थे. नेहरू की सोवियत शैली की केंद्रीकृत सोच ने हमें शास्त्री भवन और उद्योग भवन जैसे कंक्रीट के विशाल भवन दिये, जो 1990 के दशक तक ही ढहने लगे थे. एक्सप्रेस-वे बहुत कम थे, मेट्रो कुछ ही शहरों तक सीमित थी और बुनियादी ढांचा तेजी से टूट-फूट का शिकार हो रहा था. देश की राजधानी उपेक्षा और बदहाल स्थिति का प्रतीक बन चुकी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालात को बदल दिया. उन्होंने शहरों को विकास के इंजन और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बनाया. यह बदलाव आज हर जगह दिखाई देता है. सेंट्रल विस्टा के पुनर्निर्माण ने कर्तव्य पथ को जनता की जगह बना दिया, नयी संसद को भविष्य के अनुरूप संस्थान में बदल दिया और कर्तव्य भवन को सुचारु प्रशासनिक केंद्र बना दिया.


इस बदलाव को आंकड़ों से समझा जा सकता है. वर्ष 2004 से 2014 के बीच शहरी क्षेत्र में केंद्र सरकार का कुल निवेश करीब 1.57 लाख करोड़ रुपये था, वर्ष 2014 के बाद से यह 16 गुना बढ़कर करीब 28.5 लाख करोड़ रुपये हो गया. वर्ष 2025–26 के बजट में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय को 96,777 करोड़ रुपये दिये गये, जिसमें एक-तिहाई हिस्सा मेट्रो के लिए और एक-चौथाई आवास के लिए रखा गया. वर्ष 2014 में भारत में सिर्फ पांच शहरों में करीब 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन चल रही थी. आज यह बढ़कर 23 से अधिक शहरों में 1,000 किलोमीटर से ज्यादा हो गयी है, जो हर दिन एक करोड़ से अधिक यात्रियों को ढोती है. पुणे, नागपुर, सूरत और आगरा जैसे शहरों में नये कॉरिडोर बन रहे हैं, जिससे सफर तेज, सुरक्षित और प्रदूषण-रहित हो रहा है.


शहरी कनेक्टिविटी की तस्वीर बदल गयी है. एनसीआर के जाम से भरे इलाकों को नयी बनी यूइआर-दो (दिल्ली की तीसरी रिंग रोड) से राहत मिल रही है, जो एनएच-44, एनएच-9 और द्वारका एक्सप्रेसवे को जोड़कर पुराने जाम के बिंदुओं को आसान बना रही है. भारत की पहली क्षेत्रीय तेज यातायात प्रणाली-दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस (नमो भारत)-पहले ही बड़े हिस्से पर चल रही है और पूरा संचालन जल्द ही शुरू होने वाला है, जिससे पूरा सफर एक घंटे से कम समय में तय होगा. ये तेज और एकीकृत परिवहन प्रणालियां नये भारत के लिए एक नयी महानगरीय सोच को आकार दे रही हैं.


एक्सप्रेस-वे अब शहरों के बीच की आवाजाही का नया चेहरा बन रहे हैं. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, बेंगलुरु-मैसूरु एक्सप्रेस-वे, दिल्ली- मेरठ एक्सेस-नियंत्रित कॉरिडोर और मुंबई कोस्टल रोड ने दूरी घटा दी है और बड़े वाहनों को शहर की गलियों से बाहर निकालकर हवा साफ की है. मुंबई में देश का सबसे लंबा समुद्री पुल अटल सेतु अब टापू जैसे शहर को मुख्यभूमि से सीधे जोड़ता है. मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल, भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है और पश्चिम भारत में विकास का नया केंद्र बनने जा रही है. ऊर्जा सुधार ने शहरी जीवन को और सुविधाजनक बनाया है. पहले जहां रसोई महंगे और अनिश्चित गैस सिलेंडर बुकिंग पर निर्भर थी, अब पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) आम होती जा रही है, जो अधिक सुरक्षित, साफ और सुविधाजनक है. सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन 2014 में सिर्फ 57 क्षेत्रों तक सीमित था, जो अब बढ़कर 300 से अधिक हो गया है. घरेलू पीएनजी कनेक्शन 25 लाख से बढ़कर 1.5 करोड़ से ऊपर पहुंच गये हैं, जबकि हजारों सीएनजी स्टेशन सार्वजनिक परिवहन को और स्वच्छ बना रहे हैं. अब लाखों शहरी घरों में नल घुमाकर ईंधन मिलना हकीकत बन चुका है.


भारत ने अब दुनिया की मेजबानी करने का आत्मविश्वास हासिल कर लिया है. भारत मंडपम ने सफलतापूर्वक जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित किया. यशोभूमि अब दुनिया के सबसे बड़े सम्मेलन परिसरों में शामिल है, जहां एक साथ हजारों प्रतिनिधियों का स्वागत किया जा सकता है. इंडिया एनर्जी वीक ने बेंगलुरु, गोवा और नयी दिल्ली में दुनिया की ऊर्जा कंपनियों और विशेषज्ञों को आकर्षित किया, जिससे यह साबित हुआ कि हमारे शहर बड़े पैमाने पर और बेहतरीन ढंग से दुनिया की मेजबानी कर सकते हैं. परिवहन का आधुनिकीकरण बड़े पैमाने पर और तेजी से हो रहा है.

वर्ष 2014 में जहां सिर्फ 74 हवाई अड्डे चालू थे, आज वह संख्या बढ़कर लगभग 160 हो गयी है. यह संभव हुआ है उड़ान योजना और लगातार निवेश की वजह से. वंदे भारत ट्रेनें अब 140 से अधिक रूटों पर चल रही हैं, जिससे अलग-अलग क्षेत्रों में यात्रा का समय काफी घटा है. अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1,300 से अधिक रेलवे स्टेशनों का नवीनीकरण किया जा रहा है, जिनमें से सौ से ज्यादा का उद्घाटन हो चुका है. दिल्ली में विस्तारित टर्मिनल-1 ने आईजीआई हवाई अड्डे की क्षमता 10 करोड़ यात्रियों से अधिक कर दी है, जिससे हमारी राजधानी दुनिया के बड़े हवाई केंद्रों की सूची में शामिल हो गयी है.


मैंने लंबे समय तक एक राजनयिक के रूप में विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. वहां मैंने देखा कि कैसे शहर किसी देश का चेहरा बन जाते हैं. वियना की रिंगस्ट्रासे, न्यूयॉर्क की ऊंची इमारतें या पेरिस की चौड़ी सड़कें-ये सब राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा का प्रतीक थीं. तब मुझे समझ में आया कि दुनिया की नजरें सबसे पहले किसी देश के शहरों पर जाती हैं. यही विश्वास मेरे शहरी कार्य मंत्रालय के काम का आधार बना कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद और हमारे दूसरे शहर एक उभरते भारत का आत्मविश्वास, आधुनिकता और आकांक्षाएं दिखायें. जैसे मेरे राजनयिक करियर ने मुझे सिखाया कि भारत की छवि दुनिया में कैसे प्रस्तुत करनी है, वैसे ही मंत्री के रूप में मेरा काम रहा है कि हमारे शहर उस छवि के लायक बनें. यह है बदलाव की यात्रा. शास्त्री भवन की जर्जरता से कर्तव्य भवन की महत्वाकांक्षा तक. गड्ढों वाली सड़कों से एक्सप्रेस-वे और हाई-स्पीड कॉरिडोर तक. धुएं से भरे रसोईघरों से पाइप्ड नेचुरल गैस तक. झुग्गियों से लाखों पक्के घरों तक. टूटे-फूटे हॉल से विश्वस्तरीय सम्मेलन केंद्रों तक.


पाटलिपुत्र और नालंदा जैसे भारत के प्राचीन शहर कभी शहरी सभ्यता की उच्चता के प्रतीक थे. आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय शहर फिर उसी राह पर हैं, आधुनिक लेकिन मानवीय, महत्वाकांक्षी होते हुए भी समावेशी, वैश्विक दृष्टिकोण वाले होते हुए भी जड़ों और मूल्यों से जुड़े हुए. नया शहरी भारत हर दिन बन रहा है-ईंट दर ईंट, ट्रेन दर ट्रेन, घर दर घर. और यह पहले से ही करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल रहा है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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