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चुनावी रंग बनाम होली का रंग

।।नीरज चौधरी।। (प्रभात खबर, देवघर) मीडिया पर केजरीवाल का लाल होना, रैली में अन्ना के नहीं आने से दिल्ली में पीली पड़ीं ममता, दल-बदल कर दूसरे दलों में आने के बाद लोकसभा का टिकट पानेवाले प्रत्याशियों की हरियाली के बीच अपने ही दलों के नेताओं के भितरघात से कई दलों के बड़े नेताओं के स्याह […]

।।नीरज चौधरी।।

(प्रभात खबर, देवघर)

मीडिया पर केजरीवाल का लाल होना, रैली में अन्ना के नहीं आने से दिल्ली में पीली पड़ीं ममता, दल-बदल कर दूसरे दलों में आने के बाद लोकसभा का टिकट पानेवाले प्रत्याशियों की हरियाली के बीच अपने ही दलों के नेताओं के भितरघात से कई दलों के बड़े नेताओं के स्याह पड़े चेहरे. ये चुनावी रंग इतना चटकदार रहा कि उसके आगे इस बार की होली का रंग कहीं-न-कहीं फीका पड़ता नजर आया. नीले-नीले अंबर में हर-तरफ चुनावी रंग छाया रहा. इस बार पिचकारी से रंग से ज्यादा प्रत्याशियों की एक-दूसरे पर छींटाकशी की बौछार निकलती रही.

भाई वाह! चुनाव आयोग ने तो इस बार होली का रंग ही बदल दिया. होली का एक फिल्मी गीत बहुत प्रचलित है- ‘सारे गीले-शिकवे भूल कर दुश्मन भी गले मिल जाते हैं..’. लेकिन इस बार की होली पर तो दोस्त ही दुश्मन बन गये. लोकसभा का टिकट नहीं मिलने से वर्षो की दोस्ती को त्याग कर नयी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ होली मनाने चल दिये. और नयी जगह पर नये दोस्ती के बीच गाते दिखे- ‘आज न छोड़ेंगे बस हमजोली, खेलेंगे हम होली..’ नयी पार्टी व नये दोस्तों के साथ होली खेलने का मजा कितना आया, यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. इस चुनावी रंग में मीडियावाले एक ही गीत गुनगुनाते रहे- ‘चुनावी होली के बहाने छा गये..’ काटरूनिस्टों की बल्ले-बल्ले है. अगर बात आम आदमी की करें, तो हमें वह गीत खूब याद आया- ‘ पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिसमें मिला दो लगे उस जैसा..’ आम आदमी हर रंग में रंगने को तैयार दिखा. वैसे भी आम आदमी के लिए भी यह चुनावी होली खास रही.

मोबाइल पर बड़े-बड़े नेता होली की बधाई देते रहे. जिनसे कोई वास्ता नहीं, वह भी फोन करते रहे. सभी दलों के नेता अपनी पिचकारी में संवेदना, विकास व घोषणाओं का रंग लोगों पर उड़ेलते नजर आये. गुलाबी सपने दिखाते रहे. इस रंग बदलती दुनिया में नेताओं का रंग बदलना दिख भी और नहीं भी दिखा. अरे एक बात तो भूल ही गया. चुनावी होली का बाजार भी मस्त रहा. यहां तो एक चुटकी रंग लाखों में बिका. वह भी चुनाव आयोग की आंखों में धुल झोंक कर. होली में भारत की धरती सतरंगी नजर आयी. अगर राधा-कृष्ण होते, तो वह भी यह कहते नहीं थकते कि धरती की होली, स्वर्ग से भी सुंदर है. इन सबके बावजूद मैं तो यही कहता हूं कि आपका आनेवाला वर्ष सफेद न पड़े, इसलिए भांग के नशे से बाहर निकलें. नेताओं के असली रंग को पहचान कर ही वोट करना. इस चुनावी होली के लिए लिखा गया नजराना पेश कर रहा हूं-

आयी चुनावी होली आयी, रंग-बिरंगे वादे लेकर

लोगों को बहलाने को, फुसलाने को,

किस्से नये-पुराने सुनाने को

नये-नये खुलासे लेकर, नित्य नये जुगत भिड़ाने को।।

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