अन्ना हजारे गुरु के गुड़ रह जाने और चेले के चीनी हो जाने से इस कदर व्याकुल हैं कि उन्होंने ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए आनेवाले लोकसभा चुनावों में प्रचार करने की ठानी है.
लेकिन अन्ना ने सोचा नहीं होगा कि ममता बनर्जी की पार्टी में झारखंड में बंधु तिर्की, चमरा लिंडा और लालू सोरेन जैसे लोग शामिल हो जायेंगे और ये सभी चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे. अब उनके आदर्शो और सिद्घांतों का क्या होगा, क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए ही ‘आप’ बनायी है और जन लोकपाल बिल पर ही उन्होंने मुख्यमंत्री का पद त्याग दिया? दूसरी ओर, ममता ने भ्रष्टाचार के खिलाफ पश्चिम बंगाल में शायद ही कोई कदम उठाया हो. क्या अन्ना हजारे उनका साथ पा कर अपनी गांधीवादी छवि की साख बचा पायेंगे?
डॉ भुवन मोहन, हिनू, रांची