ऐसे विषय पर लिखने के लिए मैं सभी पाठकों से माफी चाहता हूं. विद्या की देवी सरस्वती की आराधना का दिन वसंत पंचमी उल्लास- पूर्वक बीता. मौसम में खुशगवारी आने के साथ ही विद्या आरंभ करने का भी यह काफी अनुकूल समय होता है. ऐसे में इन दिनों सरस्वती पूजा की धूम मची है. गली-गली में अनगिनत छोटे-बड़े पूजा पंडाल लगे हैं, जो उम्मीद है कि अगले दो-तीन दिनों तक विद्यमान रहेंगे.
लेकिन इसके लिए परिश्रम करनेवाले बच्चे और युवा क्या सचमुच सरस्वती माता के प्रति श्रद्धा भी रखते हैं? उनके पंडालों में बजनेवाले गाने तो कम से कम इस ओर तो इशारा नहीं ही करते. क्या इससे देवी सरस्वती हम पर प्रसन्न हो जायेंगी? परीक्षाओं के इस समय में बेहतर तो यह होता कि हम पूरी लगन और ईमानदारी से पढ़ाई करते. तब कहीं जाकर सही मायने में हमें विद्या का आशीर्वाद मिलेगा.
पालुराम हेंब्रम, सालगाझारी