।। सत्यप्रकाश पाठक।।
(प्रभात खबर, रांची)
बूढ़ी अम्मा की टेंटी के रुपये तो अब बरबाद हो जायेंगे, कितनी रकम कहां छुपा कर रखी है, इसका पता तो सीआइए और केजीबी के जासूस भी नहीं लगा सकते. सीबीआइ तो बच्च है. खैर, सधनू को जब से रिजर्व बैंक के नये फरमान का पता चला है कि सन 2005 से पहले छपे नोटों का चलन मार्च के बाद खत्म होने लगेगा, उसकी नींद उड़ गयी है. अम्मा से पूछते मरा जा रहा है कि बता दो तुम्हारी थाथी कहां है. एक पैसा नहीं लेंगे.. बस रुपये बदलवा देंगे. कानून का मामला है. लेकिन, वाह री बूढ़ी अम्मा! टस से मस नहीं हो रही. 90 साल की हो गयी हैं, लेकिन इस मार्च क्या, दो-चार और मार्च तक उनका मार्च जारी रहेगा. अभी दो साल पहले टुनटुन की बहुरिया को मुंहदिखाई में अंगरेज के जमाने का नोट दिया, तो दुल्हन छोड़ नोट (रुपये) की ही देखनी शुरू हो गयी थी. दिल्लीवाले भैया ने भी अम्मा से वैसा ही रुपया मांगा, नहीं मिला तो नयी बहू को एक हजार देकर नोट बदलने की पेशकश की, जिसे सयानी बहू ने अम्मा जी का आशीर्वाद कह कर सीधे टाल दिया.
सधनू की पत्नी भी अनपढ़, बोली : काहे रुपया-रुपया कर रहे हैं जी आप. सरगवासी होंगी, तो रुपया आप ही को मिलेगा, किरिया-करम का खर्चा निकल आयेगा. अब इस निपट गंवार को क्या समझायें कि तब तक इ रुपया करेंसी से कागज का टुकड़ा हो जायेगा. अब आरबीआइ के फरमान से गांव का आम गरीब तो अछूता रह नहीं सकता. वह कोई शहरी सेठ थोड़े ही है, जिसके पास हर जहर का काट हो. हालांकि आरबीआइ के फरमान से शहर के सेठ से लेकर बड़े अधिकारी और सीओ ऑफिस के हल्का कर्मचारी भी परेशान हुए थे, आखिर इन्होंने भी मेहनत कर काला धन जमा किया है. लेकिन यह जानकारी होने के बाद ही उनकी परेशानी खत्म हो गयी कि रुपये बेनामी तौर पर भी बदलवाये जा सकते हैं. कोई बैंक एकाउंट होना जरूरी नहीं. चीफ इंजीनियर रामबाबू तो अभी तक लाखों रुपये बदलवा भी चुके हैं. आखिर बैंकर दामाद कब काम आता. सेठ जी भी स्टाफ की फौज खड़ी कर देंगे. रोज दो-चार लाख बदल जायेगा. चुनावी साल है, जो नोट बचेगा नेता जी को चंदा में दे देंगे. मंगनी की गाय का कोई दांत थोड़े ना गिनता है..
इधर, पवन बाबू मुंह लटकाये पान की दुकान में पहुंचे. दो दिन पहले अखगार में सिंगल कॉलम खबर पढ़ कर सरकार को सराह रहे थे कि अब सेठों-अधिकारियों का काला धन पकड़ायेगा. सचमुच यूपीए सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने का काम कर रही है. लेकिन बाद में पता चला कि यह तो रिजर्व बैंक का ‘जोक’ है, जोक यानी केंचुआ, बिना दांत का सांप.. सामान्य फैसला, इससे जाली नोट ही खत्म हो जाये, तो गनीमत. काला धन पकड़वाने की कुव्वतवाली सरकार अभी तक देश में ना बनी है ना फिलहाल उम्मीद की कोई किरण दिखती है.