झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 64वें गणतंत्र दिवस पर रांची में झंडोत्तोलन किया. इस मौके पर उन्होंने अपनी सरकार के छह माह के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनायी. कुछ नयी योजनाओं के बारे में जानकारी दी. कई समस्याओं को स्वीकार किया.
लेकिन मुख्यमंत्री के संदेश में समस्याओं के समेकित निदान का संकल्प नहीं दिखा. सरकार की कार्यशैली और काम करने की गति जनता से छिपी नहीं है. उन्होंने काम करने के लिए कम समय मिलने की बात कही, जो आम लोगों को कहीं से प्रोत्साहित नहीं करती है. कम समय में भी अच्छे काम किये जा सकते हैं. दरअसल, सच्च लीडर वही है जो ऐसी चुनौतियों के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ता है. मौजूदा सरकार से जनता को बहुत सारी अपेक्षाएं हैं.
मुख्यमंत्री ने गरीब जनता को मुख्यधारा में लाने का भरोसा दिलाया है. लेकिन, जरूरत इस बात की है कि इन गरीबों के लिए जो योजनाएं चल रही हैं, उनका सही तरीके से समयबद्ध क्रियान्वयन हो. केंद्र व राज्य कई योजनाएं गरीबी दूर करने के लिए चला रहे हैं. प्रदेश की सरकार सिर्फ सही तरीके से मॉनिटरिंग करे, तो गरीबों का जीवन स्तर खुद-ब-खुद ऊपर उठ जायेगा.
मुख्यमंत्री ने भय, भूख, भ्रष्टाचार व आतंकवाद की चुनौती को स्वीकारा है. विकास व प्रशासन में सूचना तकनीक का भरपूर उपयोग करने की घोषणा की है. ये वही तत्व हैं, जो राज्य गठन के तेरह साल बाद भी अब तक यहां के विकास में आड़े आ रहे हैं. इन चुनौतियों से कैसे निबटा जाये, इस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. अच्छी-अच्छी घोषणाएं तो हर गणतंत्र व स्वतंत्रता दिवस पर सरकार करती है, लेकिन अगर उन पर समय रहते अमल होना शुरू हो जाये, तो सरकार के पास काम करने के लिए समय-ही-समय है. जनता सुशासन चाहती है.
अमन-चैन चाहती है. गरीबी व शोषण से छुटकारा चाहती है. लेकिन, दुर्भाग्यवश झारखंड विकास की ओर बढ़ने के बजाय पीछे जा रहा है. आतंकवाद से पूरी तरह निबट नहीं पाने की वजह सरकार में इच्छाशक्ति की कमी व राजनीति हो सकती है. सही मायने में राज्य का विकास करना है तो सरकार त्वरित गति और पूरी ईमानदारी से काम करे. बस आम जनता की यही उम्मीद है जिसे सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी.