आज के दौर में मनुष्य अपने कर्तव्य और मर्यादा को भूल कर सिर्फ अपने अधिकारों की बात करता है और उसी में सारा जीवन व्यर्थ गंवा देता है. लेकिन, मनुष्य के लिए अपने कर्तव्यों का निवर्हन करना ही पहला धर्म है.
अपने अधिकार से पहले उसका कर्तव्य आता है, क्योंकि उसके कर्तव्य से ही उसके अधिकार स्वत: प्राप्त हो जाते हैं. अपने अधिकार के लिए आवाज उठाना अच्छी बात है, लेकिन अपने कर्म (कर्तव्य) को त्याग कर सिर्फ अधिकार के लिए आवाज उठाना कतई उचित नहीं है.
हमें अपना काम कर्तव्य, अधिकार एवं मर्यादा के अंदर ही करना चाहिए. मनुष्य इन तीनों बातों का ध्यान दें एवं इसका पालन करें, तो स्वत: उसका एवं जगत का कल्याण होता रहेगा. अत: मानव को अपने अधिकार क्षेत्र में मर्यादा का ध्यान रखते हुए सिर्फ कर्तव्य (कर्म) करना चाहिए.
तरुण कुमार, हेसल, रांची