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फिल्म पीके का सच स्वीकार करें
जो लोग ईश्वर पर विश्वास करते हैं, वे यह तो अवश्य ही स्वीकार करेंगे कि संसार की कोई घटना ईश्वर की इच्छा के बिना घट नहीं सकती. आज फिल्म पीके का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. गलत कामों का विरोध तो होना ही चाहिए, लेकिन फिल्म में गलत कहां है? उसने तो हमें आईना […]
जो लोग ईश्वर पर विश्वास करते हैं, वे यह तो अवश्य ही स्वीकार करेंगे कि संसार की कोई घटना ईश्वर की इच्छा के बिना घट नहीं सकती. आज फिल्म पीके का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. गलत कामों का विरोध तो होना ही चाहिए, लेकिन फिल्म में गलत कहां है?
उसने तो हमें आईना दिखाने का काम किया है. हमें स्वीकार करना ही होगा कि एक ईश्वर वह है, जिसने हमारी रचना की है और दूसरा वह जिसे धर्म के ठेकेदारों ने रच दिया है. लोगों द्वारा फिल्म को स्वीकार किया जा रहा है और वह कमाई का नया कीर्तिमान बना रही है. बुद्धिजीवी तबके द्वारा इसकी प्रशंसा की जा रही है. फिल्म में दूसरे धर्मो की कम आलोचना की गयी है, तो इसकी चिंता हम क्यों करें? दूसरे धर्मो की आलोचना करनेवाली फिल्में बन चुकी हैं या भविष्य में बनेंगी, लेकिन यह फिल्म हमारे लिए सबक से कम नहीं है.
शशिकांत क्षेत्री, रांची
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