14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पारा शिक्षकों को ठग न लें अफसर

भारत एक समय अंगरेजों का गुलाम था, लेकिन आज झारखंड अफसरों का गुलाम बन कर रह गया है. आज ये प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में देखने को मिल रही है. एक सोची-समझी रणनीति के तहत प्राथमिक शिक्षक भरती महज डेढ़ से दो हजार पदों तक सिमट कर रही गयी है. बाकी के रिक्त पदों को […]

भारत एक समय अंगरेजों का गुलाम था, लेकिन आज झारखंड अफसरों का गुलाम बन कर रह गया है. आज ये प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में देखने को मिल रही है. एक सोची-समझी रणनीति के तहत प्राथमिक शिक्षक भरती महज डेढ़ से दो हजार पदों तक सिमट कर रही गयी है. बाकी के रिक्त पदों को एक बार फिर खाली रहने के आसार अधिक नजर आ रहे हैं.

अफसरों को यह मालूम है कि कक्षा एक से पांच तक टेट पास अभ्यर्थियों की संख्या 22 हजार से अधिक है. इसमें 18 हजार से अधिक पारा शिक्षक ही हैं. इसलिए अफसरों ने यह कसम खा रखी है कि किसी भी कीमत पर पारा शिक्षकों को सरकारी शिक्षक नहीं होने देंगे. इसीलिए अफसरों ने आरंभ से ही नियुक्ति प्रक्रिया को जटिल बना कर रखा हुआ है.

इन्हीं अफसरों की देन है कि अभ्यर्थियों को एक से अधिक जिलों से आवेदन भरवाया गया. नियुक्ति प्रक्रिया को जिला स्तर से राज्य स्तर बना दिया गया. स्थानीय अभ्यर्थी को प्राथमिकता नहीं दी गयी. प्रतीक्षा सूची जारी नहीं की गयी. राजभाषा एवं कार्मिक विभाग के पत्र को नहीं माना गया. कई ऐसी बातें हैं, जिसे इन अधिकारियों ने जटिल से जटिल बना दिया. आज स्थिति यह है कि अच्छे प्रतिशत में अंक पानेवाले एक-एक व्यक्ति ने 13-13 जिलों से आवेदन जमा कराया है, लेकिन अभी किसी की नियुक्ति निकट भविष्य में होने की उम्मीद दिखायी नहीं दे रही है.

वहीं, जिन अभ्यर्थियों के अच्छे अंक हैं, उनका चयन तो प्राय: सभी जिलों में हो जायेगा, लेकिन वे किसी एक ही जिले में नियुक्त होंगे. ऐसे में 12 जिलों में पद स्वत: रिक्त रह जायेंगे. ऐसी परिस्थिति में अफसर गैर-पारा शिक्षक से पदों को भरने की योजना बना लेंगे और पारा शिक्षक ठगे के ठगे रह जायेंगे.

संजय रजक, धनबाद

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें