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भारत-पाक के हिस्से में शांति का नोबल
यह संयोग है कि एशिया के दो ऐसे देशों को संयुक्त रूप से शांति का नोबल पुरस्कार ऐसे वक्त में देने की घोषणा हुई, जब दोनों की सीमाओं पर तनाव है. भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को यह पुरस्कार दिया गया है. दोनों बच्चों के हक के लिए काम करते हैं. […]
यह संयोग है कि एशिया के दो ऐसे देशों को संयुक्त रूप से शांति का नोबल पुरस्कार ऐसे वक्त में देने की घोषणा हुई, जब दोनों की सीमाओं पर तनाव है. भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को यह पुरस्कार दिया गया है. दोनों बच्चों के हक के लिए काम करते हैं.
113 साल के नोबेल इतिहास में यह पहली बार है, जब भारत में ही जन्मे व्यक्ति को यह सम्मान मिला है. विश्व समुदाय भी शांति में विश्वास रखता है. वे चाहते हैं कि दोनों देशों में आपसी सौहार्द बने. दोनों विकास की नयी कहानी लिखें. यह पुरस्कार हिंदू-मुसलिम, एक भारतीय और एक पाकिस्तानी के लिए अति महत्वपूर्ण है. उन्हें धर्म की सीमा में बांधना गलत होगा. भारत-पाक को शांति का संयुक्त पुरस्कार देने के पीछे दुनिया की मंशा सचमुच अच्छी ही है. यह सवा सौ करोड़ भारतीयों का सम्मान है.
रितेश कुमार दुबे, कतरास
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