समाज में बढ़ती आत्महत्या चिंतनीय विषय है. आज मनुष्य में धैर्य, साहस और संघर्ष की क्षमता समाप्त होती जा रही है. वह जिंदगी के जद्दोजहद से बचने के लिए सबसे आसान तरीका आत्महत्या को मानने लगा है. अपने जीवन में किसी भी तरह के दबाव को वह बर्दाश्त नहीं कर पाता है और आत्महत्या जैसे कदम बढ़ा लेता है. यहां तक कि पांच से छ: साल के बच्चे के द्वारा आत्महत्या की कर लेने की खबरें अा रही हैं. 60 से 70 साल के बुजुर्ग भी आत्महत्या कर रहे हैं.
यह सामाजिक ताने-बाने के लिए अत्यंत गंभीर और चिंताजनक विषय है. आत्महत्या के बढ़ते दर को रोकने के लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा. ऐसे स्वयंसेवी संगठन की आवश्यकता है जो घर घर जाकर के लोगों को जागरूक करें एवं उनकी काउंसलिंग करें, जिससे ऐसे मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों को उबार सके. यह किसी एक आदमी का काम नहीं है, हम सभी को मिलकर इसका प्रयास करना होगा.
मीनाक्षी कर्ण, जमशेदपुर