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रुपया गिरा, पर कहां गिरा

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com मंदी आ गयी है- एक भूत ने दूसरे भूत से कहा. वह चिंतित दिख रहा था. दूसरे भूत ने डांटा- अबे चुप, हम भूतों का मार्केट हमेशा चकाचक रहता है. भारत में भूत, चुड़ैल और नागों का कारोबार कभी मंदा ना हो सके है. देख उस चैनल पर कार्यक्रम आ […]

आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
मंदी आ गयी है- एक भूत ने दूसरे भूत से कहा. वह चिंतित दिख रहा था. दूसरे भूत ने डांटा- अबे चुप, हम भूतों का मार्केट हमेशा चकाचक रहता है. भारत में भूत, चुड़ैल और नागों का कारोबार कभी मंदा ना हो सके है.
देख उस चैनल पर कार्यक्रम आ रहा है- कुएं के भूत से एक्सक्लूसिव बातचीत. देख उस चैनल पर कार्यक्रम- मंदिर से नाग जाता ही नहीं, नागिन और आ गयी. मंदी-वंदी सब इंसानी फितूर है. भूत, नागों और चुड़ैलों के यहां हमेशा तेजी रहती है.
खबरें आ रही हैं कि डाॅलर के मुकाबले रुपया गिरा. लेकिन हमारे यहां ना रुपया गिरा ना डाॅलर. जिनके यहां गिरा हो, उनकी बात और है. होशियार आदमी के यहां सब कुछ गिरता रहता है, डाॅलर भी गिरता है और रुपया भी. दीनार और येन भी गिर सकते हैं यदि फेमिली मेंबर कुवैत और जापान चले जाएं.
मेरे एक जानकार के तीन बेटे अलग-अलग देशों में सेटल हो गये, उनके घर में डाॅलर, येन और रियाल गिरते रहे. पर हाल यूं हुआ कि वह जानकार एक दिन जब गिरे, तो उन्हें उठानेवाला कोई ना था, घर में गिरे हुए येन और रियाल उन्हें ना उठा पाये.
बच्चों को विदेश भेज कर करेंसी घर में गिरानेवाले समझ लें, खुद गिरेंगे घर में तो कोई उठानेवाला ना बचता. वैसी सूरत में डाॅलर चाहे जितना उठ जाये, गिरे हुए को ना उठा सकता. करेंसी की सीमा है, चाहे वह कितनी ही मजबूत क्यों ना हो.
वैसे, रुपया गिर रहा है, यह खबर बहुत फर्जी टाइप की है. कहीं ना गिरता रुपया, अपनी मेहनत से कमाना पड़ता है, अगर बंदा विजय माल्या या नीरव मोदी ना हो, तो. माल्या-नीरव मेहनत से नहीं कलाकारी से कमाते हैं. कला साधना सबके बूते की बात नहीं है.
ट्रंप कह रहे हैं कि इंडिया को अफगानिस्तान में लड़ना चाहिए. हम इतनी दूर से आकर अफगानिस्तान में क्यों लड़ें?
चौधरी जिसे बनना है, उसे अफगानिस्तान क्या मंगल ग्रह पर भी जाकर लड़ना पड़ेगा. ट्रंप की दिक्कत यह है कि वह चौधरापा तो डाॅन वाला चाहते हैं, लेकिन मुनाफा ठेठ कारोबारी वाला. डाॅनगिरी और कारोबार एक साथ मुश्किल है. कारोबार हाथ जोड़कर होता है, डाॅनगिरी गाली देकर. गाली देकर हाथ जोड़े बंदा, तो ट्रंप जैसा हास्यास्पद दिखता है. मुनाफा और चौधराहट साथ ना चल पाती.
या तो मुनाफा कमा लो या चौधरी बन लो. चौधरी बनना है, तो डाॅनगिरी दिखाने दूर-दूर जाना पड़ेगा. ट्रंप जाना नहीं चाहते, पर सब उन्हें चौधरी मानें, यह भी चाहते हैं. पाकिस्तान किसी को भी चौधरी मान लेता है, जो भी उसे रकम दे. अमेरिका ने जब तक दी, अमेरिका को चौधरी माना, अब चीन से मिल रही है, तो वह चीन को मान रहा है.
भिखारी भी इच्छित भीख ना मिलने पर गाली देता है, लगभग वैसा ही हाल पाकिस्तान का हो गया है, अमेरिका के मामले में. अमेरिका को चौधरी बनना है, तो डाॅलर गिराने पड़ेंगे. पर अमेरिका जुगत में है कि डाॅलर उसी के यहां गिरते रहें.
आजकल हाथ जोड़ते और गाली बकते हुए ट्रंप बहुत ही काॅमेडी शो टाइप लग रहे हैं.

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