किसी स्वस्थ लोकतांत्रिक सरकार में एक मजबूत विपक्ष का होना निहायत ही जरूरी हैं. अगर पिछले कुछ सालों को देखा जाये, तो पायेंगे कि कांग्रेस यह भूमिका निभाने में बिल्कुल असफल रही हैं. नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के शोर-शराबे के कारण कई महत्वपूर्ण विधेयक बिना बहस के ही पास हो गये. इन पर बहस होना अनिवार्य था ताकि जनता को भी पता चले.
राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान संभाले हुए काफी दिन हो जाने के बावजूद यूपी में कांग्रेस एक पूर्णकालिक पार्टी अध्यक्ष नहीं नियुक्त कर पायी है. अगर कांग्रेस को अपनी खोई जमीन पानी हैं, तो उसे कुछ कठोर फैसले लेने होंगे. उसे पुराने दिग्गजों का अनुभव और नये चेहरों की शक्ति और उत्साह दोनों को लेकर चलना होगा.
सीमा साही , बोकारो