21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मोदी सरकार का ‘गुजरात मॉडल’

।। आकार पटेल।। (वरिष्ठ पत्रकार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नियंत्रण भारत सरकार पर किस सीमा तक होगा? क्या केंद्र की मोदी सरकार भी गुजरात की मोदी सरकार की तर्ज पर ही चलेगी, जहां बहुत-सी चीजें मुख्यमंत्री के रूप में खुद नरेंद्र मोदी द्वारा नियंत्रित होती थीं, या अब उनका तौर-तरीका वहां से अलग होगा? इस […]

।। आकार पटेल।।

(वरिष्ठ पत्रकार)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नियंत्रण भारत सरकार पर किस सीमा तक होगा? क्या केंद्र की मोदी सरकार भी गुजरात की मोदी सरकार की तर्ज पर ही चलेगी, जहां बहुत-सी चीजें मुख्यमंत्री के रूप में खुद नरेंद्र मोदी द्वारा नियंत्रित होती थीं, या अब उनका तौर-तरीका वहां से अलग होगा?

इस बात पर विचार करने से पहले यह देखा जाये कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात में किस तरह से सरकार का संचालन किया था. राज्य में मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने अपनी रुचि के मुताबिक कई विभाग अपने पास रखे थे, जिनमें गृह, उद्योग, खनन एवं खनिज, ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल्स, बंदरगाह, सूचना, नर्मदा की विशाल सिंचाई परियोजना आदि मंत्रलय शामिल थे. इससे स्पष्ट है कि उनकी दिलचस्पी व्यापार से संबंधित उन तमाम मंत्रलयों तथा विभागों में थी, जिनसे रिलायंस, अदानी, एस्सार, टाटा और टोरेंट जैसे बड़े औद्योगिक कॉरपोरेशन प्रभावित होते थे. ऐसा उन्होंने राज्य में विकास को सुनिश्चित करने के लिए किया था और हमें यह मानना होगा कि वे इसमें सफल रहे हैं.

मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कभी भी स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे विभाग अपने पास नहीं रखे थे. शायद इन विभागों में उनकी बहुत रुचि नहीं रही होगी. गुजरात में उन्होंने नीतियों और कार्यान्वयन को राज्यमंत्री सौरभ पटेल और अपने विश्वासपात्र नौकरशाहों की मदद से नियंत्रित किया.

प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने कुछ मंत्रलय ही अपने अधीन रखे हैं, जिनमें कार्मिक, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष भी शामिल हैं. क्या इसका अर्थ यह है कि वे नया तरीका अपना रहे हैं? मेरा मानना है कि वे अपने चिर-परिचित रवैये पर ही चल रहे हैं, क्योंकि वे इसी तरह से बेहतर काम कर पाते हैं. लेकिन उन्होंने इस बार ऐसा अलग ढंग से किया है. ऊपर दी गयी सूची से सिर्फ एक ही मंत्रालय उन्होंने छोड़ा है और वह है गृह मंत्रलय, जिसकी जिम्मेवारी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह को दी गयी है. अभी हमें इस संबंध में विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा करनी होगी कि इस मंत्रालय में क्या-क्या होगा, क्योंकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) कार्मिक मंत्रलय के अधीन काम करता है, जो अभी मोदी के अधीन है.

अन्य दो बड़े केंद्रीय मंत्रालय- वित्त एवं रक्षा- अरुण जेटली के पास हैं. हालांकि वे पंजाबी हैं, लेकिन 15 वर्ष से गुजरात से राज्यसभा के सांसद हैं और पूरी तरह से नरेंद्र मोदी के कृतज्ञ हैं. वे लोकसभा चुनाव हार गये हैं और प्रधानमंत्री के भरोसे की वजह से ही मंत्री हैं. जेटली के पास कॉरपोरेट मामलों का मंत्रलय भी है, जो मोदी के पसंदीदा विभागों में से एक है.

चौथा महत्वपूर्ण मंत्रालय है विदेश. इसकी जिम्मेवारी सुषमा स्वराज को दी गयी है, जिन्हें मोदी पसंद नहीं करते हैं. हालांकि इस मामले में प्रधानमंत्री को स्वयं सक्रिय रहने की आवश्यकता होती है और जैसा कि हमने दक्षिण एशिया के नेताओं के साथ बैठक में देखा, विशेषकर नवाज शरीफ के साथ, मोदी बहुत सक्रिय दिखे. उन्हें इस मंत्रालय से नियंत्रण खोने या सुषमा द्वारा अपनी प्राथमिकताएं तय करने की चिंता नहीं होनी चाहिए.

इन मंत्रालयों के बाद वे विभाग बचते हैं जिनमें नरेंद्र मोदी की बहुत दिलचस्पी है और जो व्यापार व विकास को गति देते हैं. यहां नरेंद्र मोदी ने कुछ असाधारण किया है, जिस पर गौर करने की जरूरत है. ऐसे सभी मंत्रालयों को उन्होंने कैबिनेट से हटा कर चार राज्य मंत्रियों के जिम्मे कर दिया है. और ये सब मंत्रलय उनको दिये गये हैं जो व्यक्तिगत रूप से मोदी के विश्वासपात्र हैं, अपने राजनीतिक उत्थान के लिए मोदी के आभारी हैं तथा ये उनके नियंत्रण में काम करेंगे. वाणिज्य मंत्रलय के साथ निजी क्षेत्र से संबंधित औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन मंत्रलय निर्मला सीतारमण के पास है. ऊर्जा एवं कोयला अन्य पार्टी प्रवक्ता और पूर्व कोषाध्यक्ष राज्यमंत्री पीयूष गोयल के पास है. मोदी के सबसे प्रिय विभाग पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का प्रभार राज्यमंत्री धर्मेद्र प्रधान के जिम्मे है. दो अन्य विभाग भी हैं जो नरेंद्र मोदी के पसंदीदा हैं. इनमें पहला सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय है जो गुजरात में उनके पास था और दूसरा पर्यावरण मंत्रालय है. पर्यावरण मंत्रलय सीधा विकास से संबंधित नहीं है, लेकिन परियोजनाओं की मंजूरी में समस्या को देखते हुए यह विकास को बाधित कर सकता है. ये दोनों मंत्रालय मोदी के समर्थक प्रकाश जावडेकर के पास हैं.

ये भाजपा नेता केंद्र में पहली बार मंत्री बने हैं और इनमें से कोई भी कैबिनेट का सदस्य नहीं है. इसका अर्थ यह है कि ये सभी राज्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नौकरशाहों की टीम के साथ मिल कर काम करेंगे तथा व्यावहारिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से इन मंत्रलयों के लिए लक्ष्यों का निर्धारण तथा उनकी निगरानी करेंगे.

हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि प्रधानमंत्री विकास से संबंधित अपने कार्यक्रमों को इन राज्य मंत्रियों के माध्यम से ही संचालित करेंगे. नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से विभागों का वितरण किया है, उससे वे बड़े संतुष्ट होंगे. मंत्रलयों का बंटवारा पहली नजर में तो यह संकेत देता है कि केंद्र में काम करने का नरेंद्र मोदी का तौर-तरीका गुजरात के उनके शासनकाल से अलग होगा, लेकिन गौर से देखने पर यही पता चलता है कि वही अंदाज और तेवर यहां भी मौजूद हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें