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हिंसक भीड़ पर दंडात्मक कार्रवाई जरूरी

भीड़ की हिंसा एक ऐसा अपराध है, जो अलग-अलग कारणों से अंजाम दिया जाता है. कभी भीड़ अनायास उग्र होकर हिंसा पर आमादा हो जाती है तो कभी उसे सुनियोजित तरीके से भड़काया जाता है. अक्सर ऐसी अराजकता में राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल होते हैं. इधर, किस्म-किस्म के स्वयंभू संगठन भी बेलगाम हो […]

भीड़ की हिंसा एक ऐसा अपराध है, जो अलग-अलग कारणों से अंजाम दिया जाता है. कभी भीड़ अनायास उग्र होकर हिंसा पर आमादा हो जाती है तो कभी उसे सुनियोजित तरीके से भड़काया जाता है. अक्सर ऐसी अराजकता में राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल होते हैं.
इधर, किस्म-किस्म के स्वयंभू संगठन भी बेलगाम हो रहे हैं. यह किसी से छिपी नहीं कि अक्सर ऐसे संगठनों को किसी न किसी राजनीतिक दल का समर्थन हासिल होता है. कई बार अफवाह के चलते भी भीड़ का हिंसक और बर्बर रूप देखने को मिलता है.
भारत में भीड़ की हिंसा एक पुरानी समस्या है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उससे निबटने के नये उपाय न किये जायें. भीड़ की हिंसा के खिलाफ सख्ती की जरूरत है. इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया सेवा प्रदाताओं को फर्जी खबरों और अफवाहों पर रोक लगाने का तंत्र बनाने को कहा है, क्योंकि उस मानसिकता को भी दूर करने की जरूरत है, जिसके चलते लोग कानून हाथ में लेने को तैयार रहते हैं.
डाॅ हेमंत कुमार, गोराडीह (भागलपुर)

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