पुनः एक बार शर्मसार कर देने वाली एक घटना छपरा में हुई, जहां एक छात्रा के साथ दुष्कर्म किया गया. हैरानी की बात यह है कि इस बार दुष्कर्म एक ऐसे पवित्र रिश्ते के साथ हुआ है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. कोई गुरु और शिष्य के रिश्तों को कैसे कलंकित कर सकता? कैसे एक गुरु अपनी शिष्या को हवस का शिकार बना सकता है?
कैसे किसी व्यक्ति की मानसिकता, उसका दृष्टिकोण, उसकी सोच इतनी गिर सकती है? देश को विकसित बनाने में लगे हुए राजनीतिज्ञ कहते हैं कि सारी व्यवस्था ठीक कर देंगे, परंतु इसका क्या लाभ? क्या व्यवस्था ठीक होने से इनकी मानसिकता भी ठीक हो जायेगी? कदापि नहीं. जो लोग रिश्ते की पवित्रता नहीं समझते, उनको समाज से हटाना जरूरी है. स्वस्थ समाज के लिए यह बहुत जरूरी है.
मनी भूषण, रोहतास