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एग्जिट पोल के बोल पर ‘बुल डांस’

जावेद इस्लाम प्रभात खबर, रांची एग्जिट पोल को जो बताना था, बता चुका. हर पोल के बोल उसके ‘गोल’ के अनुरूप हैं. सच कहिए तो मुङो इसी की उम्मीद थी. पूरे चुनाव में, बल्कि चुनाव से थोड़ा पहले से जब सारा मीडिया एक ही टेर लगा रहा था, तो एग्जिट पोल इससे उलट कैसे आता? […]

जावेद इस्लाम

प्रभात खबर, रांची

एग्जिट पोल को जो बताना था, बता चुका. हर पोल के बोल उसके ‘गोल’ के अनुरूप हैं. सच कहिए तो मुङो इसी की उम्मीद थी. पूरे चुनाव में, बल्कि चुनाव से थोड़ा पहले से जब सारा मीडिया एक ही टेर लगा रहा था, तो एग्जिट पोल इससे उलट कैसे आता? यह सारा एग्जिट पोल उसी टेर का विस्तार है. कारपोरेट के मनपसंद नेता के लिए खाद-पांस डाल कर जो उपजाऊ जमीन तैयार की गयी, उसी की फस्ले-बहार है यह एग्जिट पोल. इस पोल के बोल सुन कर नेताजी के भक्तगण बल्ले-बल्ले कर रहे हैं, तो यह स्वाभाविक है.

बल्ले-बल्ले शेयर बाजार भी कर रहा है. अचानक से उसके लिए दीवाली आ गयी. सेंसेक्स और निफ्टी की आतिशबाजी आसमान में छूट रही है. सयाने लोग कयास लगा कर बता रहे हैं कि एग्जिट पोल के नतीजे लीक होकर शेयर बाजार के विधाताओं को पहले ही मिल गये थे. अचानक मिली इसी खुशी में वे खुद को रोक नहीं पाये. बाजार में सांड़ उछाल मारने लगा. कोई उछले मुङो क्या! मुङो तो ऐतराज बस लीक वाली बात पर है. अपन का विचार इस मामले में लीक से हट कर है.

साफ-साफ कहें, तो यह मामला शुद्ध रूप से कारोबारी लेन-देन का है, शुभ-लाभ का है. जैसे इश्क और जंग में कुछ भी नाजायज नहीं, वैसे ही कारोबार-व्यापार में भी कुछ भी नाजायज नहीं होता. यह सबको पता है कि नेताओं के चुनाव में जो लोग धन लगाते हैं, बाद में नेता उनका घर धन-धान्य से भरते हैं. इस बार तो कुएं में ही भांग पड़ी है. यानी एक नेताजी के पीछे पूरा का पूरा कारपोरेट जगत दिल खोल कर निवेश किये बैठा हो, तो खाली-पीली में लीक -लीक का हल्ला क्यों मचाना? बाजार के विधाता दिव्य ज्ञान रखते हैं. ‘लीक एग्जिट पोल’ ने बता दिया कि नेताजी का प्रधानमंत्री बनना तय है और यह भी कि नेताजी प्रधानमंत्री बन कर किन-किन कारपोरेट ‘निवेशकों’ पर सबसे पहले कृपा-दृष्टि डालेंगे, तभी तो बाजार के विधाताओं जिन्हें प्यार से लोग सटोरिया कहते हैं, ने उन कृपा-पात्रों की कंपनियों के शेयरों पर खेलना शुरू कर दिया. इसी का नतीजा है कि शेयर बाजार का सांड़ बाजार की छत पर चढ़ गया है और लुंगी खोल कर बुल डांस कर रहा है.

सॉरी, इस भाषा के लिए खेद है. पर क्या करूं, लगता है 16वीं लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल हुई भाषा का असर मुझ पर भी आ गया है. भाई, नेताओं के मुख से ऐसे-ऐसे फूल झरे कि बच्च-बच्च उन्हीं की जुबानी बोलने लगा है. खैर, जो हो रहा है सो हइहे है, अब नजर 16 मई पर लगी है जब असली नतीजे आयेंगे. देखना है कि लीक हुए एग्जिट पोल से नाचना शुरू करनेवाला सांड़ 16 मई को क्या करता है. सांड़ के साथ-साथ सटोरियों और ‘कारपोरेटियों’ की भी प्रतिक्रिया देखनी होगी. लोग चर्चा कर रहे हैं कि सांड़ की उछाल एक ऊंट तय करेगा. मतलब यह है कि ऊंट किस करवट बैठेगा, यह देखना है.

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