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आनेवाली सरकार से बहुत हैं उम्मीदें

जनता का फैसला किसकी तरफ जायेगा़, इसकी तसवीर आज साफ हो जायेगी. पिछले एक दशक में संप्रग सरकार के कार्यकलापों पर एक नजर डालें, तो इस सरकार का कार्यकाल घोटालों और भ्रष्टाचार से भरा रहा़. संप्रग सरकार के पहले पांच सालों के शासन के दौरान सबकुछ ठीक-ठाक दिखा़, जिसके कारण जनता ने दोबारा इस सरकार […]

जनता का फैसला किसकी तरफ जायेगा़, इसकी तसवीर आज साफ हो जायेगी. पिछले एक दशक में संप्रग सरकार के कार्यकलापों पर एक नजर डालें, तो इस सरकार का कार्यकाल घोटालों और भ्रष्टाचार से भरा रहा़. संप्रग सरकार के पहले पांच सालों के शासन के दौरान सबकुछ ठीक-ठाक दिखा़, जिसके कारण जनता ने दोबारा इस सरकार को चुना़ लेकिन उसके बाद इस सरकार में पूरे पांच सालों तक खिचड़ी ही पकती रही़ मनमोहन सिंह अपने ठोस फैसला लेने के बजाय मात्र एक रबर स्टांप की तरह काम करते रह़े इस गंठबंधन में भ्रष्टाचारियों का बोलबाला रहा़. जनता की भलाई का प्रश्न ही नहीं था.

नेताओं ने घोटालों का शतक लगा दिया और सीबीआई कठपुतली बन कर इस संगठन के हाथों नाचती रही़ जम्मू-कश्मीर में सेना का सिर कलम होता रहा और सरकार दिल्ली में शांति वार्ता की पेशकश पाकिस्तान से करती रही. पहले कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में भ्रष्टाचार, फिर 2जी स्पेक्ट्रम, कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले ने जनता का विश्वास पूरी तरह से तोड़ दिया. कई नेताओं को जेल भी जाना पड़ा़ चुनाव लड़ने से रोक लगाने के लिए कानून भी बना, लेकिन क्या हुआ?

16वीं लोकसभा चुनाव में ऐसे नेता फिर से वोट मांगने के लिए जनता के सामने आ खड़े हुए़ सोनिया गांधी द्वारा खाद्य सुरक्षा बिल भी तब लाया गया, जब लोकसभा चुनाव नजदीक थ़े यह जनता को ठगने का प्रयास नहीं तो और क्या है? जनता की आवाज सुननेवाला कोई नहीं है. सरकार के सभी मंत्री भ्रष्टाचार के समुद्र में डूबे रहे यही उनकी मुख्य उपलब्धि रही और जनता इसे पांच वर्षो तक ङोलने के लिए मजबूर थी़. अब देखना है आनेवाली सरकार कुछ नया करती है या नहीं.

प्रदीप कुमार शर्मा, बारीडीह

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