असम देश का पहला राज्य बन गया है, जहां सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने माता-पिता की देखभाल अनिवार्य रूप से करने के लिए कानून बना है. अगर माता-पिता की ओर से देखभाल में शिकायत मिलती हैं, तो इनके वेतन का कुछ हिस्सा स्वतः ही कट कर माता-पिता के पास चला जायेगा. घर में मां-बाप को बोझ समझा जाता हैं, जब वो बूढ़े हो जाते हैं.
उन्हें जब अपने बच्चों की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं, तभी उन्हें समस्या समझ कर उनसे किनारा कर लिया जाता हैं. कई घरों में लोक-लाज के भय से बूढ़ों को अलग तो नहीं रखा जाता, पर पुराने सामान की तरह घर के किसी कोने में रख दिया जाता है. इनकी भलाई के लिए बनाया गया यह कानून पूरे देश में लागू होना चाहिए.
सीमा साही, बोकारो