पुरानी व्यवस्था पुराने लोगों के लिए ठीक थी, लेकिन इस आधुनिक युग में भी उसे क्यों ढोया जा रहा है? इसलिए मेरे विचार से व्यवस्था परिवर्तन के लिए वोट की राजनीति को रद्द करके उसके बदले उम्मीदवारों की लॉटरी निकालना ज्यादा सही रहेगा. इस नयी व्यवस्था के अनेक फायदे होंगे, जैसे- इसे इस्तेमाल में लाये जाने से जातिवाद, धर्मवाद, वंशवाद, सांप्रदायिकता और अन्य आपसी मतभेद के लिए कोई जगह नहीं बचेगी.
इसके साथ ही चुनाव के नाम पर होनेवाली फिजूलखर्ची की भी कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. मुङो खेद है कि अंधों की दुनिया में आईना खरीदने वाला कोई नहीं है. गौरतलब है कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आसमान से टपककर कोई फरिश्ता, या परमेवर आने वाला नहीं है. जो भी परिवर्तन करना है, मिलजुल कर हमें ही करना होगा. वरना देश के हालात इससे भी बुरे होंगे.
महावीर साहू, लोहरदगा