‘प्रभात खबर’ में तीन किस्तों में प्रकाशित ब्रजेश कुमार सिंह के विचार जिनमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल को ‘कॉपीकैट’ की संज्ञा दी है, मीडिया की झल्लाहट को प्रकट करता है. उनके विचार पढ़ कर ऐसा मालूम होता है कि वे पत्रकार न होकर किसी राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता हैं.
उन्होंने केजरीवाल के हर एक सवाल को, चाहे वह किसानों की आत्महत्या का मामला हो या गैस की कीमत का, सिर्फ यह कह कर मजाक उड़ाया है कि ये सवाल तो आरटीआइ कार्यकर्ता या कांग्रेस पार्टी द्वारा पहले ही पूछे जा चुके हैं. उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि इन सवालों को दोबारा नहीं पूछा जाना चाहिए? इस बात पर तो प्रसन्नता जाहिर की जानी चाहिए कि केजरीवाल ने उन सवालों को व्यापक बना दिया. इसमें मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है. लेकिन मीडिया को शक के घेरे में लाते ही वे आलोचना के शिकार होने लगे.
दिलीप कुमार मिश्र, रेजो, गढ़वा