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क्यों, लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) की मार से उबर नहीं पा रहा है सेंसेक्स ?

नयी दिल्ली : बजट पेश होने के बाद दो दिनों के कारोबार में सेंसेक्स में 1000 अंक की गिरावट दर्ज की गयी है. इस जोरदार गिरावट की बड़ी वजह लांग टर्म कैपिटल गेन्स को बताया जा रहा है. लांग टर्म गेन्स को लेकर निवेशकों की चिंता अब भी कायम है. सरकार के इस फैसले का […]

नयी दिल्ली : बजट पेश होने के बाद दो दिनों के कारोबार में सेंसेक्स में 1000 अंक की गिरावट दर्ज की गयी है. इस जोरदार गिरावट की बड़ी वजह लांग टर्म कैपिटल गेन्स को बताया जा रहा है. लांग टर्म गेन्स को लेकर निवेशकों की चिंता अब भी कायम है. सरकार के इस फैसले का असर विदेशी निवेशकों पर भी पड़ा सकता है. वहीं मध्यम वर्ग जो बैंकों में जमा पैसों पर ब्याज दर की कमी के बाद शेयर बाजार की ओर रूख किया था. यह उनके लिए भी एक झटका है.

क्या है लांग टर्म गेन्स टैक्स
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूनियन बजट में लांग टर्म गेन्स की घोषणा की थी. बजट के दौरान बताया गया था कि एक अप्रैल से लांग टर्म कैपिटल गेन्स लागू होगी. यह एक किस्म का टैक्स है जो मुनाफा पर लगाया जाता है. यह रियल इस्टेट, शेयर बाजार और निश्चित अवधि तक शेयर संबंधी उत्पादों में यह टैक्स लगाया जाता है. अगर निवेशक शेयर बेचने या इक्विटी म्युचुअल फंड में एक लाख से ज्यादा की कमाई करता हो तो उसे दस प्रतिशत टैक्स दिया जायेगा.हाल ही के दिनों में एसआईपी के जरिये शेयर बाजार में रिकार्ड निवेश का ट्रेंड देखा गया था. सरकार के इस फैसले से इस पर असर पड़ सकता है.
गौरतलब है कि कैपिटल गेन्स उन संपत्तियों पर लागू नहीं होगी जो विरासत में मिले हैं यानी यह जिस संपत्ति का सिर्फ ट्रांसफर हुआ है.अगर कोई शख्स अपने विरासत में मिली संपत्ति को बिक्री करता है तो उसपर कैपिटल गेन्स लग सकता है.
किन संपत्तियों में नही लगेगा कैपिटल गेन्स
ज्वैलरी, पेंटिग, आर्कियोलॉजिकल कलेक्शन, ड्राइंग और इमारतों में कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगेगा. मुख्यत : शेयर बाजार पर इस टैक्स का विशेष असर होगा.
क्या है शार्ट टर्म और लांग टर्म के कैपिटेल गेन्स का असर
कोई संपत्ति जो 36 महीने से ज्यादा के लिए नहीं है, उसे शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स के अंतर्गत रखा गया है. इसके उलट लांग टर्म गेन्स 36 महीने से ज्यादा हो तो उसे लांग टर्म कैपिटल गेन्स के अंतर्गत रखा गया है.

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