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HEC का हो सकता है निजीकरण, केंद्रीय उद्योग मंत्री ने दिये संकेत, घाटा का दिया हवाला

रांची : केंद्र सरकार एचइसी को निजी हाथों में देने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय कैबिनेट की अगली बैठक में इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप(पीपीपी) मोड पर चलाये जाने से संबंधित प्रस्ताव पेश किये जाने की संभावना है. रांची के सांसद रामटहल चौधरी बुधवार को केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते से मिले. सांसद रामटहल […]

रांची : केंद्र सरकार एचइसी को निजी हाथों में देने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय कैबिनेट की अगली बैठक में इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप(पीपीपी) मोड पर चलाये जाने से संबंधित प्रस्ताव पेश किये जाने की संभावना है.
रांची के सांसद रामटहल चौधरी बुधवार को केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते से मिले. सांसद रामटहल चौधरी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि एचइसी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. इसे और घाटे में चलाया जाना संभव नहीं है. केंद्र सरकार अब एचइसी के प्रति गंभीर है, क्योंकि नीति आयोग ने इसके निजीकरण की अनुशंसा एक साल पहले ही कर दी थी.
रामटहल चौधरी के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वह एचइसी को बचाने की पूरी कोशिश करेंगे. उन्होंने सांसद से भी इसे बचाने के लिए आगे आने को कहा है. कहा कि एचइसी बचे इसके लिए झारखंड के सांसद और सरकार की ओर से भी दबाव बनाया जाये. नयी दिल्ली स्थित उद्योग भवन में केंद्रीय मंत्री से मुलाकात के दौरान रामटहल चौधरी के साथ भाजपा नेता विनय जायसवाल भी मौजूद थे. इस दौरान वहां भारी उद्योग मंत्रालय के अधिकारी भी थे.
एरियर भुगतान पर चर्चा: केंद्रीय मंत्री से मुलाकात के दौरान सांसद रामटहल चौधरी ने एचइसी में कार्यरत कर्मियों के एक जनवरी 1997 से लेकर 2006 तक के एरियर भुगतान करने के संबंध में बात की. कहा कि लंबे समय से बकाया है, इसका भुगतान कर दिया जाये. इसके बाद केंद्रीय मंत्री व अधिकारियों ने एचइसी के हालात पर चर्चा की. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एचइसी चाहे निजी हाथों में जाये या इसे सरकार चलाये, हर हाल में कर्मियों के एरियर का भुगतान कर दिया जायेगा.
घाटे में चल रहा एचइसी
-एचइसी अब तक दो बार बीआइएफआर में जा चुका है. आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से वर्ष 1992 से 96 तक बीआइएफआर में था. दूसरी बार 2003 से 2006 तक बीआइएफआर में था.
-दूसरी बार बीआइएफआर में जाने के बाद राज्य सरकार ने एचइसी की अार्थिक स्थिति में सुधार के उद्देश्य से 100 एकड़ जमीन के लिए उसे 743 करोड़ रुपये देने का फैसला किया. इसमें फिलहाल 214 करोड़ रुपये अभी बकाया है.
-एचइसी वित्तीय वर्ष 2014-15 से घाटे में चल रहा है. दिसंबर 2017 तक कंपनी का घाटा 140 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
-एचइसी पर उसके कर्मचारियों का वेतन पुनरीक्षण मद का करीब 200 करोड़ रुपये बकाया है कच्चा माल मद में 100 करोड़ का बकाया है. फिलहाल 1400 करोड़ का कार्यादेश है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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