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केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बिहार ने वित्त आयोग को दिया नया फॉर्मूला : सुशील मोदी, …जानें क्या है फॉमूला?

पटना : बिहार के पांच दिवसीय दौरे पर आये 15वें वित्त आयोग को राज्य सरकार की ओर से ज्ञापन सौंपे जाने के मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने 2011 की सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना, असमान आय, जनसंख्या घनत्व, हरित आवरण आदि मानकों के आधार पर केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के लिए नया […]

पटना : बिहार के पांच दिवसीय दौरे पर आये 15वें वित्त आयोग को राज्य सरकार की ओर से ज्ञापन सौंपे जाने के मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने 2011 की सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना, असमान आय, जनसंख्या घनत्व, हरित आवरण आदि मानकों के आधार पर केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के लिए नया फॉर्मूला तय करने की मांग की. उन्होंने 11वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर बिहार की हिस्सेदारी के प्रतिशत को 15वें वित्त आयोग में बरकरार रखने के साथ सेस, सरचार्ज और गैर राजस्व कर से केंद्र को प्राप्त होनेवाली राशि को भी राज्यों के बीच बांटने की मांग की.

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मोदी ने कहा कि 11 वें वित्त आयोग में बिहार की हिस्सेदारी 11.589 प्रतिशत थी, जो 14वें में घट कर 9.665 प्रतिशत रह गयी. हालांकि, 13वें वित्त आयोग की तुलना में 14 वें वित्त आयोग से प्राप्त होनेवाली राशि में जहां बिहार की राशि मे 136 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं केरल जैसे विकसित राज्य को प्राप्त होने वाली राशि में 191 प्रतिशत एवं राष्ट्रीय स्तर पर यह वृद्धि 173 प्रतिशत थी. उपमुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को गैर कर राजस्व, सेस व सरचार्ज से 2018-19 में प्राप्त 3 लाख 76 हजार करोड़ का बंटवारा भी राज्यों के बीच करने तथा डिविसिव पूल में राज्यों की हिस्सेदारी को 42 से बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने की मांग की.

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14वें वित्त आयोग ने केवल ग्राम पंचायतों के लिए राशि उपलब्ध करायी थी, जिसके आलोक में 15वें वित्त आयोग से त्रिस्तरीय पंचायती राज की अन्य दो इकाइयों पंचायत समिति व जिला परिषदों को भी राशि आवंटित करने की मांग की है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने आपदा प्रबंधन के लिए 2015 से 2020 तक पांच वर्षों के लिए महाराष्ट्र को 8195 करोड़, राजस्थान को 6094 करोड़ और मध्य प्रदेश को 4848 करोड़, वहीं बिहार को मात्र 2591 करोड़ रुपये दिये, जबकि 2013-14 से 2017-18 के बीच बिहार को आपदा प्रबंधन पर अपने खजाने से 3796 करोड़ रुपये खर्च करना पड़े हैं.

राज्य सरकार ने रखीं 25 प्रमुख मांगें

राज्य सरकार के पूरे महकमे ने 15वें वित्त आयोग की टीम के सामने 55 स्लाइड का पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन किया और 92 पेज का ज्ञापन सौंपा. इसमें मुख्य रूप से 25 मांगों को रखा गया, जिसके आधार पर टीम ने बिहार से जुड़े सभी पहलुओं को समाहित करते हुए तमाम जरूरतों को विस्तार से बताया.

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1. राज्य को वित्तीय स्वायत्त अधिक प्रदान की जाये.

2. राज्य और केंद्र दोनों के लिए समान रूप से रिसोर्स एवं खर्च के मूल्यांकन के साथ इसके निर्धारण में समान फॉर्मूला अपनाया जाये.

3. अन्य राज्यों की तुलना में बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को रिसोर्स के स्थानांतरण में प्राथमिकता मिले.

4. बिहार का सुझाव है कि वर्तमान आयोग मौद्रिक घाटा में ग्रांट का प्रावधान करे

5. अगर कोई राज्य अपना राजकोषीय घाटा तीन फीसदी से कम के फॉर्मूला को बरकरार रखता है, तो उन्हें राहत मिले.

6. केंद्रीय टैक्स पुल का हिस्सा सेस और सरचार्ज को बनाया जाये.

7. केंद्र प्रायोजित योजनाओं के रुपये सीधे ट्रांसफर करने की स्थिति में राज्य की स्वायत्तता प्रभावित नहीं हो.

8. जीएसटी के प्रशासन तंत्र को ज्यादा मजबूत किया जाये. खासकर आईजीएसटी के वितरण में.

प्रोफेशनल टैक्स में

9. बढ़ोतरी करने का अधिकार राज्य को मिले.

10. केंद्र से हस्तांतरित होने वाली राशि के मैकेनिज्म को ज्यादा पारदर्शी बनाया जाये.

11. राज्य सरकार के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए राज्य के एकाउंट और वित्तीय प्रबंधन को देखा जाये.

12. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए वित्त आयोग अनुशंसा करे.

13. क्षेत्रीय विषमता को कम करने के लिए पिछड़े राज्यों को अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी जाये.

14. आपदा प्रबंधन फंड में अलग से पैसे दिये जाये, ताकि किसी आपदा में तुरंत मदद पहुंचायी जा सके.

15. केंद्रीय आपदा प्रबंधन फंड का राज्यों के बीच वितरण करने में उन राज्यों को प्राथमिकता दी जाये, जहां रिस्क ज्यादा है.

16. एसडीआरएफ के गठन में केंद्र और राज्य के बीच 90:10 का फॉर्मूला पालन हो.

17. आपदा प्रबंधन के दौरान सख्त गाइडलाइन के पालन में छूट दी जाये.

18. स्थानीय नगर निकायों को ग्रांट देने में बढ़ोतरी करने के साथ उनकी क्षमता में भी बढ़ोतरी हो.

19. ग्राम पंचायत की तर्ज पर पंचायत समिति और जिला परिषद के लिए भी वित्त आयोग फंड दे.

20. स्थानीय निकायों को मिलने वाले सभी ग्रांट को दो हिस्सों में विभाजित किया जाये. एक हिस्सा को उनके प्रदर्शन के आधार पर देने का प्रावधान रखा जाये.

21. स्थानीय निकायों को फंड देने में 90 फीसदी जनसंख्या और 10 फीसदी जमीन को तवज्जो दिया जाये.

22. टैक्स स्रोत में हिस्सेदारी को बढ़ाते हुए 50 फीसदी से ज्यादा किया जाये.

23. रिजोंटल डिस्ट्रीब्यूशन में जनसंख्या को खासतौर से तवज्जो दिया जाये. इसे 27.50 फीसदी वेटेज दिया जाये. इसमें 10 फीसदी वेटेज खासतौर से बेहद गरीब लोगों को दिया जाये.

24. क्षेत्रीय विषमता को कम करने के लिए आय और आधारभूत संरचना को मुख्य आधार माना जाये.

25. मौद्रिक क्षमता को बढ़ाने पर खासतौर से ध्यान दिया जाये.

Prabhat Khabar Digital Desk
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