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बिहार : 2020 तक सभी बसावटों तक पहुंच जायेंगी सड़कें: शैलेश

ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार जितने अच्छे संगठनकर्ता हैं उतने ही बेहतर प्रशासक भी हैं. ग्रामीण इलाकों में सड़कों का जाल बिछाने और सभी टोलों व बसावटों तक सड़क पहुंचाने के बड़े लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार ने इन्हें अहम जिम्मेदारी सौंप रखी है, जिसे वे बखूबी निभा रहे हैं. […]

ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार जितने अच्छे संगठनकर्ता हैं उतने ही बेहतर प्रशासक भी हैं. ग्रामीण इलाकों में सड़कों का जाल बिछाने और सभी टोलों व बसावटों तक सड़क पहुंचाने के बड़े लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार ने इन्हें अहम जिम्मेदारी सौंप रखी है, जिसे वे बखूबी निभा रहे हैं.
2020 तक सभी टोलों व बसावटों में सड़क पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने में जुटे हैं. राजनीति व समाज सेवा इन्हें विरासत में तो मिली, लेकिन उन्होंने मेहनत, लगन व काम की बदौलत अपनी पहचान बनायी. शैलेश कुमार गुरुवार को प्रभात खबर के पटना कार्यालय पहुंचे व खुलकर काम व योजनाओं की जानकारी दी. उनसे बात की हमारे संवाददाता दीपक कुमार मिश्रा ने.
– बिहार के विकास में आपका विभाग किस तरह की भूमिका निभा रहा है?
-ग्रामीण कार्य विभाग आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. गांव समृद्ध और विकसित हों, मुख्यमंत्री के इस सपने को साकार करने में जुटे हैं. सड़कें होंगी तो लोगों के जीवन में बदलाव के साथ-साथ समृद्ध भी आयेगी. वर्ष 2020 तक सभी टोलों व बसावटों तक संपर्क सड़क पहुंचाने के लक्ष्य को लेकर काम हो रहा है. पुरानी सड़कों को बना भी रहे हैं और नये का निर्माण भी हो रहा है.
राज्य की 83% सड़कें हमारे विभाग के पास हैं. विभाग के पास राज्य की कुल 1.48 लाख किमी सड़कों में से 1.29 लाख किमी से अधिक सड़कें हैं. राज्य के किसी कोने से पांच घंटे में राजधानी पहुंचने की मुख्यमंत्री की जो सोच है, उसमें मेरा विभाग अहम रोल निभायेगा.
– अब तक कितनी
ग्रामीण सड़कें बनी हैं?
-ग्रामीण कार्य विभाग अब तक 67,902 किमी सड़कें बना चुका है. 17,090 किमी
सड़कों का निर्माण चल रहा है. 44,514 किमी सड़कों का निर्माण करना है. 68 हजार से अधिक टोलों में सड़कें पहुंच गयी हैं. 61 हजार बसावटों तक सड़कें पहुंचानी है. सात निश्चय के तहत जीटीएसएनवाई में 3,970 किमी सड़कें बनानी हैं. इस दिशा में काम शुरू हो गया है. 20 किमी सड़क का निर्माण हुआ है और 1623 किमी सड़कों की प्रशासनिक स्वीकृति दी जा चुकी है. जरूरत होगी तो जमीन खरीदकर भी सड़कें बनायी जायेंगी. इस योजना पर 2200 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
– सड़क निर्माण में गुणवत्ता व नयी तकनीक का कितना ध्यान रखा जा रहा है?
-सड़क निर्माण में गुणवत्ता व मानक से कोई समझौता नहीं होता है. इसकी मॉनीटरिंग मैं खुद करता हूं. सड़क निर्माण में नयी तकनीक और आधुनिक मशीनों का भी उपयोग हो रहा है. मुंगेर और समस्तीपुर में मलयेशियन तकनीक से बिना स्टोन का उपयोग किये ग्रीन सड़कें बनेंगी. किशनगंज में एम्युनिटी मॉडल पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत सड़कों का निर्माण होगा. 18 इंजीनियरों पर कार्रवाई की गयी है.
– बाढ़ से सड़कें क्षतिग्रस्त होती हैं. इसके स्थायी निदान के लिए क्या किया जा रहा है?
-पिछले साल आयी बाढ़ से ग्रामीण सड़कों को काफी नुकसान पहुंचा. 3,119 सड़कें, जो 4,236 किमी लंबी थीं, वे बरबाद हो गयीं. 484 पुलिया और 51 पुल क्षतिग्रस्त हो गये. सिर्फ मोटरेबुल बनाने में ही 843 करोड़ रुपये खर्च हुए. केंद्र सरकार से 1827 करोड़ रुपये की मांग की गयी है. इंजीनियरों से इसका स्थायी निदान खोजने को कहा गया है. पिछली बाढ़ में 170 उन जगहों की पहचान की गयी, जहां पानी का अधिक प्रेशर था. इन जगहों पर पुल का निर्माण होगा.
– राज्य में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की क्या स्थिति है?
-पीएमजीएसवाई का पहला चरण राज्य में पूरा होनेवाला है. योजना में राशि का अनुपात 60:40 होने से राज्य पर 4,932 करोड़ रुपये का भार पड़ा है. इसके बाद भी अपने संसाधन से राज्य सरकार उसकी भरपाई कर रही है. 55,259 किमी पीएमजीएसवाई की सड़कों में से 45,000 किमी से अधिक का निर्माण हो चुका है. शेष का निर्माण जल्द पूरा हो जायेगा. 2016-17 में पूरे देश में बिहार ने पीएमजीएसवाई में सबसे अच्छा काम किया. इसके लिए हमें 75 करोड़ रुपये का इंसेटिव भी मिला.

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