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इप्टा राष्ट्रीय प्लैटिनम जुबली समारोह : नाटकों में दिखायी गयी दासता प्रथा के दंश और वर्तमान राजनीति की विद्रूपता

पटना : इप्टा राष्ट्रीय प्लैटिनम जुबली समारोह के दूसरे दिन विभिन्न नाटकों का मंचन किया गया. इन नाटकों में एक ओर जहां वर्तमान राजनीतिक की विद्रूपता दिखायी गयी, वहीं दूसरी ओर भावनाओं का समागम भी नाटकों के जरिये प्रस्तुत किया गया. राष्ट्रीय जन नाट्य समारोह के तहत बलराज साहनी प्रेक्षागृह कालिदास रंगालय में मणिपुर इप्टा […]

पटना : इप्टा राष्ट्रीय प्लैटिनम जुबली समारोह के दूसरे दिन विभिन्न नाटकों का मंचन किया गया. इन नाटकों में एक ओर जहां वर्तमान राजनीतिक की विद्रूपता दिखायी गयी, वहीं दूसरी ओर भावनाओं का समागम भी नाटकों के जरिये प्रस्तुत किया गया. राष्ट्रीय जन नाट्य समारोह के तहत बलराज साहनी प्रेक्षागृह कालिदास रंगालय में मणिपुर इप्टा ने महाश्वेता देवी की कहानी ‘अजीर’ पर आधारित नाटक ‘मीनाई नाईथांग’ प्रस्तुत किया गया.

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रणवीर किशियांग के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक एक ऐसी दासता की कथा कहता है, जिसमें पूर्वजों द्वारा हस्ताक्षरित एक बंधपत्र (बांड) से बंधे व्यक्ति को प्रेम और विवाह करने तक कि अनुमति नहीं है. नाटक के नायक के जीवन का सारा अधिकार उसके स्वामी के अधीन है. पूर्वजों द्वारा हस्ताक्षरित बंधपत्र (बांड) वास्तव में बहुत पहले ही नष्ट हो चुका था, किंतु स्वार्थवश मालिकों ने यह भ्रम बनाये रखा कि दासता का वह बंधपत्र आज भी सुरक्षित है. लगभग एक घंटे के बाद नाटक के अंत में यह तथ्य खुलता है जब, उसको प्यार करनेवाली स्वामिनी उस दास के प्रति प्रेम प्रकट करती है और यह बताती है कि वह बंधपत्र अब उसके पास है और उससे वह इस आधार पर प्रेम निवेदन करती है. इस भय से कि बिना बंधपत्र हस्तगत किये हुए वह स्वतंत्र नहीं हो सकता, नायक उसकी हत्या कर देता है.

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‘गाय’ में दिखी गायों की राजनीति

कालिदास रंगालय में दूसरा नाटक उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से आयी कोरोनेशन आर्ट थियेटर की टीम की प्रस्तुति ‘गाय’ थी. राजेश कुमार द्वारा लिखित और जरीफ मल्लिक आनंद द्वारा निर्देशित नाटक ‘गाय’ में कलाकारों ने वर्तमान समय में गाय के नाम पर की जा रही राजनीति और इस देश में गायों की दुर्दशा की ओर दर्शकों का ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश की. गौरक्षा के नाम पर जिस तरीके से गोरखधंधे में लिप्त नेता-मंत्री सिर्फ अपने स्वार्थसिद्धि में लगे हुए हैं, और जनता को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं, इससे सावधान होने की अपील नाटक के कलाकारों कलाकारों ने की. नाटक में कुमुद कांत, दीपाली कश्यप, अनुज सिंह, मोनिका सरकार, राहुल वाजपेयी, नैना गुप्ता, अमित श्रीवास्तव ने सशक्त अभिनय किया किया.

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चबूतरा’ कार्यक्रम का उद्घाटन संजना कपूर ने किया

इसके पूर्व कालिदास रंगालय परिसर में बने रंग चबूतरा कार्यक्रम का उद्घाटन प्रसिद्ध अभिनेत्री संजना कपूर ने की. इस मौके पर उन्होंने रंगमंच को जनता की सशक्त आवाज बताते हुए कलाकारों से एकजुटता की अपील की. रंग चबूतरा पर बिहार छपरा इप्टा के कलाकारों ने ‘कहब त लग जाई धक’ से गीत से कार्यक्रम से आगाज किया. पश्चिम बंगाल इप्टा के कलाकारों ने भी कई जनगीत प्रस्तुत किये. इप्टा प्लैटिनम जुबली समारोह में राष्ट्रीय रंगभूमि नाट्य समारोह का उद्घाटन गांधी मैदान में बने भिखारी ठाकुर रंगभूमि पर नाटककार राजेश कुमार ने किया. परिवर्तन रंग मंडली के कलाकारों ने राजनंदन सिंह ‘राजन’ के प्रसिद्ध गीत ‘जोगीरा…’ से कार्यक्रम का आगाज किया.

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‘मैं बिहार हूं’ की भी दी प्रस्तुति

बिहारी अस्मिता और बिहार के सम्मान में वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत द्वारा लिखित और तनवीर अख्तर द्वारा निर्देशित नाटक ‘मैं बिहार हूं’ प्रस्तुत किया गया. इसके अलावा प्रेरणा जसमो के कलाकारों ने हसन इमाम लिखित व निर्देशित नाटक :पोल खुला पोर-पोर’ प्रस्तुत किया. कलाकरों ने नाटक के जरिए वर्तमान राजनीति की पोल खोली. कार्यक्रम को साथी चंद्रशेखर व साथी सफदर हाशमी को समर्पित किया गया था. प्रेमचंद रंगशाला परिसर में बने कविवर कन्हैया रंगभूमि का उद्घाटन ख्याति प्राप्त नाट्य निर्देशक प्रोबीर गुहा ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत बिहार के बेगूसराय, बिहट व रानी इप्टा के कलाकारों ने जनगीत से की. रंगभूमि पर पश्चिम बंगाल का द्वारा ‘असली शास्त्र’ नाटक प्रस्तुत किया गया. इसके अलावा पश्चिम बंगाल ने भोला नाथ मुखर्जी के निर्देशन में ‘विस्फोट’ नाटक की प्रस्तुति भी की. रंगभूमि पर छत्तीसगढ़ रायपुर ग्रामीण इप्टा के द्वारा गम्मत शैली में नाटक ‘टॉर्च बेचने वाला’ प्रस्तुत किया गया. हरिशंकर परसाई की कहानी पर आधारित नाटक का निर्देशन निसार अली द्वारा किया गया था.

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