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इप्टा का प्लैटिनम जुबली समारोह : डेमोक्रेटिक फ्रंट बने, लेकिन केवल लेफ्ट का नहीं : असगर वजाहत

पटना : इप्टा के प्लैटिनम जुबली समारोह के दूसरे दिन एक ‘नेशनल कल्चरल फोरम’ की जरूरत पर विचार विमर्श आयोजित किया गया. इस सत्र की अध्यक्षता मशहूर साहित्यकार और नाटककार असगर वजाहत और इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर सिंह ने की. विचार विमर्श सत्र के लिए आधार पत्र साहित्यकार हृषिकेश सुलभ और अभिनेता जावेद अख्तर […]

पटना : इप्टा के प्लैटिनम जुबली समारोह के दूसरे दिन एक ‘नेशनल कल्चरल फोरम’ की जरूरत पर विचार विमर्श आयोजित किया गया. इस सत्र की अध्यक्षता मशहूर साहित्यकार और नाटककार असगर वजाहत और इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर सिंह ने की. विचार विमर्श सत्र के लिए आधार पत्र साहित्यकार हृषिकेश सुलभ और अभिनेता जावेद अख्तर खां ने तैयार किया था और जिसे सबके समक्ष जावेद अख्तर खां ने प्रस्तुत किया. इसके बाद इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश, रंगकर्मी एम के रैना, कवि राजेश जोशी, मेधा पानसारे, कांचा इलैया, रंगकर्मी प्रोबीर गुहा, प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव राजेन्द्र राजन, बंगाल इप्टा के हिरेन मुखर्जी, लोक गायक संभा जी भगत, हसन इमाम ने हिस्सा लिया.

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इस मौके पर असगर वजाहत ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि ‘आज लोकतांत्रिक, उदारवादी, गैर सांप्रदायिक मंच की आवश्यकता सभी महसूस कर रहे हैं. लेकिन, यह फोरम सिर्फ लेफ्ट का नहीं होना चाहिए, दूसरे जो भी फासीवाद विरोधी हैं, उनको भी एक मंच पर लाना जरूरी है. वैचारिक फ्रेमवर्क में हमें अपना दायरा बढ़ाना होगा. इसमें सभी विचारों के लोगों का स्वागत होना चाहिए, जो लोकतंत्र में किसी प्रकार के हस्तक्षेप का विरोध करते हैं. इसमें पत्रकार, साहित्यकार, फोटोग्राफर, संपादक सभी की जगह होनी चाहिए.’

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गोविंद पानसारे कहते थे कि हम कल्चरल तौर पर फेल हो गये : मेधा पानसारे

गोविंद पानसारे की पुत्री मेधा पानसारे अपने पिता को याद करते हुए कहा कि उनका कहना था कि हम कल्चरल तौर पर फेल हो गये हैं. महाराष्ट्र से आयीं सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा ने इप्टा के सांगठनिक ढांचे को और विस्तारित करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि समाज में ऐसे कई लोग हैं, जो किसी राजनीतिक पार्टी के नहीं हैं, लेकिन वही काम कर रहे हैं, जो हम करते हैं. ऐसे कार्यों के साथ नयी पीढ़ी को अपने से जोड़ना बहुत जरूरी है.

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जो मुस्लिम राजनीति करते हैं वे मुसलमानों के विरोध में हैं: शम्सुल

इतिहासकार शम्सुल इस्लाम ने कहा कि भारत के फासीवादी सिर्फ मुस्लिम और ईसाईयों के खिलाफ हैं, तो आप गलत हैं. वे हिंदुओं के भी विरोधी हैं. उन्होंने 1947 में तिरंगे का विरोध किया था और मनु स्मृति को संविधान पर तरजीह दी थी. हमने इसे नहीं समझा. जो मुस्लिम राजनीति करते हैं, वे मुसलमानों के विरोध में हैं. पाकिस्तान का सत्यानाश किसी हिंदू नहीं किया, बल्कि मुसलमानों ने ही किया. इसलिए फासीवाद से सबको मिल कर लड़ना होगा.

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सत्ता का नहीं मूल्यों के विरोधियों का विरोध करें : राजेश जोशी

राजेश जोशी ने कहा कि फोरम की राजनीतिक विचारधारा क्या होगी? यह स्पष्ट नहीं है. फिर उन्होंने कहा कि यह अज्ञानता का दौर है. हमें अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए, वरना हम अपने विरोधियों के ट्रैप में फंस जायेंगे. फिर उन्होंने कहा कि सिर्फ वर्तमान सत्ता का विरोध ना करें. जो भी हमारे मूल्यों के विरुद्ध होगा, हम उसका विरोध करेंगे. राजेंद्र राजन ने कहा कि आज फासिज्म का आलम यह है कि अदालत को कैसे फैसले लेने हैं, यह एक पार्टी का अध्यक्ष बताता है. मुंबई से आयी रंगकर्मी संजना कपूर ने कहा कि मेरा विश्वास है कि हमें सौंदर्य के साथ काम करना चाहिए. असहमति का सौंदर्य. जो नहीं जानते कि मोदी ने 2002 में क्या किया, वही मोदी को सपोर्ट करता है. हीरेन मुखर्जी ने ग्लोबलाइजेशन के खतरे से अवगत कराया.

नये नाटक लिखे जाने जरूरी, एक्टिविटी थियेटर के बदले मूवमेंट थियेटर पर देना होगा जोर : रणबीर सिंह

अंत में राष्ट्रीय इप्टा के अध्यक्ष रणबीर सिंह ने नये नाटक लिखे जाने पर जोर दिया और कहा कि हमें अपनी आवाज उठानी चाहिए. चुप नहीं बैठना चाहिए. उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमारा आज का थिएटर मूवमेंट थियेटर का नहीं है. एक्टिविटी थियेटर है, इसे मूवमेंट थियेटर बनाना होगा. इसी के साथ फोरम पर काम करने के प्रतिबद्धता के साथ सत्र का समापन हुआ.

Prabhat Khabar Digital Desk
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