पटना : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव की मुश्किलें दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही हैं. जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग ने तेजस्वी यादव पर अपना शिकंजा कसना तेज कर दिया है. बताया जा रहा है कि तेजस्वी की बेनामी संपत्ति को विभाग ने जब्त करने के साथ, तेजस्वी के धोखाधड़ी को भी उजागर किया है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक उपमुख्यमंत्री रहते हुए तेजस्वी यादव एक निजी कंपनी में लाभ के पद पर बने हुए थे, इस आधार पर उनकी विधानसभा की सदस्यता जा सकती है. नियमानुसार संवैधानिक पद पर रहते हुए किसी लाभ के पद पर रहना गैरकानूनी और संसदीय परंपरा के खिलाफ माना जाता है. उपमुख्यमंत्री रहते हुए तेजस्वी यादव एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के निदेश पद पर विराजमान थे. विभाग ने अपनी 80 पेज की अपनी जांच रिपोर्ट में इसका जिक्र भी किया है.
विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजस्वी यादव ने लाभ के पद पर बने रहने के साथ पूछताछ में कई अहम जानकारी भी छुपायी है. 29 अगस्त 2017 को पटना के आयकर भवन में पूछताछ के दौरान एक सवाल के जवाब में गलत जानकारी दी कि एबी एक्सपोर्ट की लेखा बही कंपनी के दिल्ली निबंधित कार्यालय में ही रखी होती है. विभाग का कहना है कि 16 मई 2017 दिल्ली के न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी स्थित कंपनी के निबंधित कार्यालय में छापेमारी हुई, तो वहां वह डायरी नहीं मिली. विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तेजस्वी से जब यह पूछा गया कि एबी एक्सपोर्ट के लिए अमित कात्याल कौन सा काम करते हैं, तो वह कोई संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं दे पाये. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कॉरपोरेट मंत्रालय के रिकार्ड को खंगालने के बाद आयकर विभाग ने उस रिपोर्ट के आधार पर यह बात बतायी है कि मंत्रालय के रिकार्ड के मुताबिक तेजस्वी ने कंपनी के बिजली कनेक्शन के आवेदन पर भी खुद हस्ताक्षर किये हैं.
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक विभाग ने यह दावा किया है कि एबी एक्सपोर्ट के 98 प्रतिशत शेयर के तेजस्वी मालिक हैं. तेजस्वी यादव 10 जनवरी 2011 से ही कंपनी के निदेशक पद पर लगातार बने हुए थे. तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बनने के बाद भी कंपनी निदेशक के तौर पर अपने हस्ताक्षर से चेक जारी करते रहे. विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक एबी एक्सपोर्ट प्रा. लिमिटेड के 98 प्रतिशत शेयर के मालिक तेजस्वी यादव ने 2015 में चुनाव जीतने के बाद उपमुख्यमंत्री बनने के 9 महीने पहले निदेशक पद से इस्तीफा तो दे दिया, लेकिन संबंधित चेकों पर स्वयं ही हस्ताक्षर करते रहे, जो यह साबित करता है कि वह पद पर बने हुए थे. विभाग को लालू के करीबी प्रेम गुप्ता और एक कर्मचारी विजयपाल त्रिपाठी के आवास पर हुई छापेमारी में तेजस्वी के हस्ताक्षर वाले चेक बरामद किये गये थे.
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