रांची/जमशेदपुर: पड़ोसी की निर्दयता की शिकार हुई सिदगोड़ा की 12 साल की बच्ची की जान बचाने के लिए उसकी मां ने हाइकोर्ट से गुहार लगायी है. 22 हफ्ते की गर्भवती बच्ची को गर्भपात की इजाजत दिये जाने की क्रिमिनल याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में सुनवाई हुई. हाइकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित कर शुक्रवार को ही अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा.
साथ ही कोर्ट ने सरकार से बच्ची को तत्काल उचित इलाज उपलब्ध कराने का भी ओदश दिया है. इसके बाद एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को सरकार के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने पत्र जारी कर शाम पांच बजे तक बच्ची की मेडिकल जांच करने का आदेश जारी किया. जिसके बाद बच्ची की मेडिकल जांच कर शाम सात बजे तक कोर्ट को इस संबंध में सूचना दे दी गयी. अब इस मामले में शनिवार को सुबह नौ बजे सुनवाई होनी है, जिसमें मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट अपना फैसला सुनायेगी.
गौरतलब है कि सिदगोड़ा के बिरसानगर में 30 अगस्त 2017 को 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ उसके पड़ोसी उदय गागराई के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी मई से पीड़िता का यौन शोषण कर रहा था.
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए सदर अस्पताल भेजा गया था. सदर अस्पताल ने नाबालिग को यह कहते हुए एमजीएम रेफर कर दिया कि वह गर्भवती है. एमजीएम में पीड़िता के परिजन द्वारा गर्भपात कराने का आग्रह किया गया, लेकिन अस्पताल ने इंकार कर दिया. अस्पताल में कहा गया कि कोर्ट के आदेश पर ही गर्भपात हो सकता है. इधर, बच्ची व उसकी मां की ओर से अधिवक्ता राम सुभग सिंह ने 11 अक्तूबर को हाइकोर्ट में गर्भपात की इजाजत देने के लिए याचिका दाखिल की. 13 अक्तूबर यानी शुक्रवार को इस मामले में पहली सुनवाई हुई. पहले सत्र में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकारी वकील राजीव रंजन मिश्रा को इस मामले में तुरंत मेडिकल बोर्ड गठित कर गर्भपात की स्थिति में बच्ची को कोई खतरा तो नहीं है इसकी रिपोर्ट देने को कहा. दूसरे सत्र में सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि एमजीएम में मेडिकल बोर्ड का गठन कर दिया गया है और जैसे ही रिपोर्ट आती है उसे प्रस्तुत कर दिया जायेगा. कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आने के बाद इस पर आदेश जारी किया जायेगा. कोर्ट को शाम सात बजे बताया गया कि बच्ची की मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट आ गयी है. जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में शनिवार को सुबह नौ बजे सुनवाई करने का आदेश दिया.
क्या है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट में प्रावधान
इस कानून में प्रावधान है कि 20 हफ्ते के बाद गर्भपात नहीं किया जा सकता. इसके तहत गर्भपात करने वाले को सात साल तक की सजा का प्रावधान है. हालांकि विशेष परिस्थितियों में गर्भपात किया जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे कई मामलों में गर्भपात की इजाजत दी है. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के अनुसार, कानूनी तौर पर गर्भपात केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है, जैसे-जब महिला की जान को खतरा हो, महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो, बलात्कार के कारण गर्भधारण हुआ हो, पैदा होने वाले बच्चे का गर्भ में उचित विकास नहीं हुआ हो और उसके विकलांग होने का डर हो.
बच्ची को स्थानीय स्तर पर किसी तरह की मदद नहीं मिली. एमजीएम अस्पताल में गर्भपात की मंजूरी नहीं मिलने के बाद उन्होंने हाइकोर्ट में रिट दाखिल की. मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की रिपोर्ट कोर्ट को भेज दी गयी है. कोर्ट ने शनिवार की सुबह 9 बजे रिपोर्ट को प्रस्तुत करने अौर चेंबर में उसकी सुनवाई करने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व में कई आदेश में 25 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात कराने का आदेश दिया है. इस मामले में बच्ची को 23 से 24 सप्ताह का गर्भ है. गर्भपात की अनुमति की मांग की गयी है, जिस पर शनिवार को फैसला आयेगा.
राम सुभग सिंह, अधिवक्ता, हाइकोर्ट
मेडिकल बोर्ड में कौन-कौन : सरकार के आदेश के बाद शुक्रवार को ही एमजीएम जमशेदपुर की मेडिकल बोर्ड ने नाबालिग का चिकित्सकीय परीक्षण किया. बोर्ड में डॉ अंजलि श्रीवास्तव (एचओडी प्रसुति विभाग), डॉ केएन सिंह (मेडिसीन), डॉ दुर्गाचरण बेसरा (रेडियोलॉजी विभाग), डॉ रीचा (डेंटल) तथा डॉ ललन चौधरी (फॉरेंसिक) शामिल थे. बोर्ड ने शुक्रवार की शाम को जांच रिर्पोट सरकार को भेज दी.

