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राम जेठमलानी : 17 साल की उम्र में बन गये थे वकील, सात दशक की वकालत के बाद लेंगे संन्यास

वकालत के पेशे को 70 साल से ज्यादा वक्त तक जीने वाले राम जेठमलानी ने कल संन्यास की घोषणा कर दी. देश के लगभग सभी चर्चित केसों में वकील रहे जेठमलानी 94 साल की उम्र में भी बेहद सक्रिय है. अपने धारदार तर्को से कठिन केस को अपने मुवक्किल के हिस्से में पलटने वाले जेठमलानी […]

वकालत के पेशे को 70 साल से ज्यादा वक्त तक जीने वाले राम जेठमलानी ने कल संन्यास की घोषणा कर दी. देश के लगभग सभी चर्चित केसों में वकील रहे जेठमलानी 94 साल की उम्र में भी बेहद सक्रिय है. अपने धारदार तर्को से कठिन केस को अपने मुवक्किल के हिस्से में पलटने वाले जेठमलानी मात्र 17 साल के उम्र में ही वकील बन गये थे. अविभाजित भारत में पाकिस्तान स्थित शिकारपुर में 14 सितंबर 1923 को जन्में राम जेठमलानी के परिवार में पिता और दादा वकील थे. लिहाजा वकालत की पेशे को लेकर आकर्षण बचपन से ही था.

पढ़ने में बेहद मेधावी रहे जेठमलानी ने दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा की पढ़ाई एक साल में ही पूरी कर ली थी और मात्र 13 साल की उम्र में मैट्रिक पास कर गये थे. जब उनकी उम्र 17 साल की हुई तब वह वकालत की डिग्री हासिल कर चुके थे लेकिन उन दिनों नियम के हिसाब से प्रैक्टिस करने की न्यूनतम उम्र 21 साल रखी गयी थी. जेठमलानी के विशेष योग्यता को देखते हुए इस उम्रसीमा में छूट दी गयी.

पिता उन्हें वकील नहीं बनाना चाहते थे. अपने परिवारवालों की जिद की वजह से उन्होंने मैट्रिक के बाद साइंस ले लिया था लेकिन राम जेठमलानी पिता के इस फैसले से खुश नहीं थे. शिकारपुर में एक ‘लवर्स ब्रिज’ था. जहां वैसे लोग जाते थे, जो अपने मोहब्बत में नाकामयाब होते थे. रामजेठमलानी भी वहां पहुंचते थे क्योंकि उन्हें कानून से प्यार था और मजबूरी में साइंस पढ़ना पड़ा.

विभाजन के बाद जब पाकिस्तान में लगातर हालत खराब होने लगे तो रामजेठमलानी के एक दोस्त ने उन्हें भारत जाने की सलाह दी. हालांकि वह भारत आना नहीं चाहते थे लेकिन अपने दोस्त की सलाह मानकर भारत पहुंच गये. मुंबई आकर थोड़े दिनों तक उन्होंने रिफ्यूजी का जीवन जीया. उन दिनों भारत सरकार ने शरणार्थियों के लिए 96 कॉलोनियां बनायी थी. इन्हीं में से एक घर जेठमलानी के हिस्से आये. जिंदगी में थोड़ी स्थिरता आयी तो वकालत के करियर की शुरुआत हुई. पहली बार उन्होंने उस दौर की सबसे चर्चित केस केएम नानावती बनाम महाराष्ट्र सरकार का केस लड़ा. युवा वकील जेठमलानी ने नानावती के पक्ष में अपनी दलील दी. उनके विरूद्ध उस जमाने के मशहूर वकील यशवंत चंद्रचूड थे. लेकिन रामजेठमलानी की जीत हुई. 1959 के इस केस ने उन्हें वकालत की दुनिया में रातों – रात स्टार बना दिया.

फिर उन्होंने 1960 में तस्करों के पक्ष में केस लड़ा. हाजी मस्तान के केस में उन्हें जीत हासिल हुई लेकिन उन्हें तस्करों का वकील कहा जाने लगा. धीरे – धीरे राम जेठमलानी को इस तरह के केस लड़ने की आदत पड़ गयी. चाहें वह इंदिरा गांधी व राजीव गांधी के हत्या आरोपी के पक्ष में केस लड़ने की बात हो या फिर छात्रा यौन शोषण मामले में आसाराम के वकील के रूप में. रामजेठमलानी इसके पीछे तर्क देते हैं कि ट्रायल के पहले किसी को दोषी मान लेना कानून का अपमान है और यह न्याय के मूल भावना के खिलाफ है.

कुछ मशहूर केस जिसे रामजेठमलानी ने लड़ा

1. राजीव गांधी हत्या में मुरूगन, संथन के पक्ष में केस लड़ा

2.शेयर दलाली मामले में हर्षद मेहता और केतन पारीख के पक्ष में

3.हवाला कांड में लालकृष्ण आडवाणी के पक्ष में

4.सोराबुद्दीन मर्डर केस में अमित शाह

5. 2G केस में कनोमोझी के वकील

6. रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के वकील

7. छात्रा यौन शौषण मामले में आसाराम के वकील

8. चारा घोटाले में लालू यादव के पक्ष में

वकालत में क्यों मिली कामयाबी

जानकार बताते हैं कि जिरह की शुरूआत में वह शांत रहते हैं लेकिन जैसे ही जिरह स्पीड पकड़ती है, अपने विशिष्ट शैली में तर्को की धार के साथ आगे बढ़ते हैं. कंस्टीच्यशनल लॉ, इवीडेंस एक्ट, आइपीसी तीनों विषयों को मिलाकर उनका बहस खास हो जाता हैं. इंदिरा गांधी के सभी हत्यारों को पूरी दुनिया दोषी मानती थी लेकिन उन्होंने इनमें से एक आरोपी की सजा कम करवा दी. रामजेठमलानी के करीबी सुब्रमण्यम स्वामी बताते हैं कि वह दोस्तों के सबसे अच्छे दोस्त हैं लेकिन एक बार दुश्मनी हो गयी तो पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है.

94 साल की उम्र में सक्रियता का राज

बढ़ते उम्र में सक्रियता के राज का जवाब देते जेठमलानी ‘किंग सोलोमन’ की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहते हैं. चिरयुवा बने रहने का एकमात्र रहस्य है, युवाओं से दोस्ती. जैसे – जैसे आपका उम्र बढ़ रहा हो. आप अपने छोटे उम्र के लोगों के साथ दोस्ती रखें. अपने आप को नये जमाने के हिसाब से फिट रखने के लिए वह हर शनिवार सिम्बोयासिस लॉ कॉलेज में क्लास लेते हैं. वकालत के अलावा उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया. लोकसभा चुनाव भी जीते. राज्यसभा के सदस्य के साथ कानून मंत्री भी रहे लेकिन तेवर हमेशा बागी ही रहा. जेठमलानी किसी पार्टी से क्यों न हो, हर पार्टी को एक वकील के रूप मे राम जेठमलानी की जरूरत पड़ते रहती थी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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