Vice President Election 2025 : बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. अब सबकी नजरें विपक्ष पर हैं. विपक्ष डीएमके नेता तिरुची शिवा को अपना उम्मीदवार बना सकती है. उनका नाम रेस में सबसे आगे चल रहा है. INDIA ब्लॉक के विपक्षी दल मंगलवार को एक और बैठक करने वाले हैं. इसके बाद वे अपने संयुक्त उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान कर सकते हैं.
“दक्षिण बनाम दक्षिण” हो सकता है मुकाबला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मुकाबला “दक्षिण बनाम दक्षिण” हो सकता है, क्योंकि एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है. उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, इसलिए इस चुनाव को लेकर सभी की नजरें विपक्ष के फैसले पर टिकी हुई हैं. सोमवार शाम दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर कई विपक्षी नेताओं की बैठक हुई. इसमें उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार के नाम पर चर्चा हुई.
बैठक में कुछ नेताओं ने सुझाव दिए, जिनमें तमिलनाडु से भी संभावित नाम शामिल थे. विपक्षी दल चाहते हैं कि उनका उम्मीदवार मजबूत और सबको स्वीकार्य हो, ताकि एनडीए को टक्कर दी जा सके.
तिरुचि शिवा कौन हैं ? जानें
विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर नाम जुड़ने की अटकलों के बीच डीएमके सांसद तिरुचि शिवा की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने सोमवार को कहा कि इस बारे में जानकारी देने वाले वे सही व्यक्ति नहीं हैं. उन्होंने साफ किया कि इस विषय पर फैसला विपक्षी दलों और गठबंधन की बैठकों में ही होगा. 1954 में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में जन्मे शिवा पहली बार 1996 में पुडुक्कोट्टई से लोकसभा सांसद बने. इसके बाद उन्होंने संसद में अब तक पांच कार्यकाल पूरे किए हैं. वे लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य रह चुके हैं और लंबे समय से सक्रिय राजनीति में जुड़े हैं.
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तिरुचि शिवा ने अपनी राजनीति की शुरुआत डीएमके की छात्र और युवा शाखाओं से की थी. धीरे-धीरे वे पार्टी में ऊंचे पदों तक पहुंचे. वे कई दशकों से डीएमके से जुड़े हुए हैं और पार्टी नेतृत्व के करीबी माने जाते हैं. उनकी पहचान एक अनुभवी और भरोसेमंद नेता के रूप में है.
उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को
उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होने वाला है. यह चुनाव इसलिए जरूरी हो गया क्योंकि जगदीप धनखड़ ने पिछले महीने अचानक इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ा. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है. इस बार चुनाव में एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में संख्या बल है जिसका उसे लाभ मिल सकता है.

