US India Trade: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जवाबी टैरिफ नीति पर अपने रुख में नरमी के संकेत दिए हैं. पहले जहां उन्होंने 2 अप्रैल से भारत जैसे देशों पर जवाबी टैरिफ लागू करने की चेतावनी दी थी, वहीं अब उनके ताजा बयान से संकेत मिल रहा है कि कुछ देशों को टैरिफ में छूट दी जा सकती है. इस घटनाक्रम के मद्देनजर भारत सरकार का वाणिज्य मंत्रालय सतर्क हो गया है और अमेरिकी मांगों को लेकर निगरानी बढ़ा दी गई है. इसी सिलसिले में आज दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता होनी है.
अमेरिका की संभावित मांगें और भारत की रणनीति
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका भारत से ऑटोमोबाइल, व्हिस्की और जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) खाद्य उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में अधिक पहुंच की मांग कर सकता है. हालांकि, व्हाइट हाउस की व्यापार नीति को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. अमेरिकी टैरिफ नीति में छूट की संभावनाओं ने वैश्विक बाजारों में सकारात्मक प्रभाव डाला है, जिससे भारतीय बाजार में भी उत्साह देखा जा रहा है. भारत सरकार ने इस वार्ता के लिए “शर्तों की रूपरेखा” (ToR) तैयार की है, जो व्यापार वार्ता के दायरे और उद्देश्यों को स्पष्ट करेगी.
भारत की प्राथमिकताएं: टैरिफ रियायतें और सेवा क्षेत्र में राहत
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि वार्ता की शुरुआत द्विपक्षीय निवेश समझौते (Bilateral Investment Treaty – BIT) के पहले चरण से होगी. इस चरण में बाजार पहुंच, डिजिटल व्यापार, श्रम और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी. भारत की प्राथमिकता जवाबी टैरिफ में छूट पाने और गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाने पर केंद्रित होगी. इसके अलावा, भारत भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में अधिक वीजा रियायतों की भी मांग करेगा.
डिजिटल व्यापार और डेटा लोकलाइजेशन पर टकराव संभव
डिजिटल व्यापार के मसले पर अमेरिका भारत के डेटा लोकलाइजेशन नियमों को चुनौती दे सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2018 के निर्देश के तहत, मास्टरकार्ड और वीजा जैसी कंपनियों को भारतीय नागरिकों का डेटा भारत में ही स्टोर करना अनिवार्य है. ट्रंप प्रशासन इस नीति को लचीला बनाने की मांग कर सकता है, जो भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में बड़ा विवाद बन सकता है.
भारत टैरिफ में कटौती के लिए तैयार?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अमेरिका से आयातित 23 अरब डॉलर के 55% उत्पादों पर टैरिफ में कटौती करने को तैयार हो सकता है. भारत के एक आंतरिक विश्लेषण में यह पाया गया है कि अमेरिकी टैरिफ से भारत के अमेरिका को होने वाले कुल 66 अरब डॉलर के निर्यात का 87% प्रभावित हो सकता है.
ट्रंप प्रशासन की दो-स्तरीय रणनीति
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन व्यापार शुल्क लगाने के लिए “दो-स्तरीय रणनीति” पर विचार कर रहा है. इसके तहत, आपातकालीन शक्तियों का उपयोग कर कुछ उत्पादों पर तत्काल टैरिफ लगाया जा सकता है, जबकि अन्य उत्पादों के लिए औपचारिक जांच की जाएगी. अमेरिकी प्रशासन “टैरिफ अधिनियम 1930” की धारा 338, “इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट” और धारा 301 जैसे प्रावधानों की समीक्षा कर रहा है, जिससे कुछ उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाया जा सकता है.
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर निगाहें
आज दिल्ली में होने वाली व्यापार वार्ता में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर के बीच चर्चा होगी. यह बैठक दोनों देशों के बीच व्यापार समझौतों को मजबूत करने और शुल्क विवाद को सुलझाने पर केंद्रित होगी. भारत ने पहले ही बॉर्बन व्हिस्की और मोटरसाइकिल जैसे कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क में कटौती की है, जिसे ट्रंप प्रशासन ने सकारात्मक कदम बताया है.
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2030 तक 500 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य पर नजर
विश्लेषकों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंधों को देखते हुए, दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने की योजना बना रहे हैं. अब सवाल यह है कि आज की बैठक से क्या दोनों देश टैरिफ विवाद को हल करने में सफल होंगे या ट्रंप अपनी 2 अप्रैल की समयसीमा पर अड़े रहेंगे.
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