10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

समलैंगिक विवाह: अब 18 अप्रैल को सुनवाई, SC ने 5 जजों की बेंच के पास भेजा मामला

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश के सभी नागरिकों के पास प्यार करने और उसे इजहार करने का अधिकार पहले ही है, कोई भी लोगों के उस अधिकार का हनन नहीं कर रहा है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं की उसे शादी का अधिकार दे दिया जाए.

सेम-सेक्स मैरिज मामला: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से जुड़ी याचिकाओं अब 18 अप्रैल को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला 5 जजों की संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया है. मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी. गौरतलब है कि केंद्र सरकार देश में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने का विरोध कर रही है. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि वो समलैंगिकों की शादी को कानून मान्यता देने के पक्ष में नहीं है.

तुषार मेहता ने कही ये बात: वहीं, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश के सभी नागरिकों के पास प्यार करने और उसे इजहार करने का अधिकार पहले ही है, कोई भी लोगों के उस अधिकार का हनन नहीं कर रहा है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं की उसे शादी का अधिकार दे दिया जाए.

गोद लेने पर उठेगा सवाल- SG: कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि जिस समय एक मान्यता प्राप्त संस्था के रूप में समान लिंग के बीच विवाह होता है, गोद लेने पर सवाल उठेगा और इसलिए संसद को बच्चे के मनोविज्ञान के मुद्दे को देखना होगा, जिसे जांचना होगा कि क्या इसे इस तरह से उठाया जा सकता है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कहा कि, समलैंगिक या समलैंगिक जोड़े के गोद लिए हुए बच्चे का समलैंगिक होना जरूरी नहीं है.


Also Read: उत्तराखंड में मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए सरकार देगी ज्यादा रकम, विधायक निधि में भी बंपर इजाफा

समलैंगिक शादी को मान्यता देने के पक्ष में नहीं है केंद्र: गौरतलब है कि केंद्र सरकार समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के पक्ष में नहीं है. केन्द्र ने एक हलफनामा दायर कर इसका विरोध किया है. इस मामले में केंद्र सरकार का कहना है कि समलैंगिक संबंध और विषमलैंगिक संबंध अलग-अलग वर्ग हैं. समान-लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा भागीदारों के रूप में एक साथ रहना, जो अब डिक्रिमिनलाइज किया गया है, उसकी पति-पत्नी और बच्चों की भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ तुलना नहीं की जा सकती है.

Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel