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Ramnath Kovind: यूपी के एक गांव से लेकर राष्ट्रपति भवन तक जानिए कैसा रहा है रामनाथ कोविंद का सफर

Ramnath Kovind Farewell: निवर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को संसद की ओर से विदाई दी गई. इस दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला समेत सभी वरिष्ठ संसद में मौजूद रहे.

Ramnath Kovind Farewell: निवर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को संसद की ओर से विदाई दी गई. इस दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला समेत सभी वरिष्ठ संसद में मौजूद रहे. हालांकि, सेंट्रल हॉल में हुए इस विदाई समारोह में सोनिया गांधी और राहुल गांधी मौजूद नहीं थे. बता दें कि द्रौपदी मुर्मू बृहस्पतिवार को देश की अगली राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं और वह सोमवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी.

राष्ट्रपति पद तक रामनाथ कोविंद का सफर लोकतंत्र की प्रेरक उपलब्धि: लोकसभा स्पीकर

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कहा कि निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से लेकर भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक का सफर देश के लोकतंत्र की अद्भुत और प्रेरक उपलब्धि है. निवर्तमान राष्ट्रपति के लिए संसद सदस्यों की ओर से आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए ओम बिरला ने कहा कि राजनीतिक निष्पक्षता के लिए कोविंद की प्रतिबद्धता और राष्ट्रपति भवन को नागरिकों की पहुंच के दायरे में लाना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा.

रामनाथ कोविंद ने सभी राजनीतिक दलों को समान रूप से किया प्रेरित: ओम बिरला

संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में अपने संबोधन में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण उनकी दूरदृष्टि, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों की गहरी समझ और उनके समाधान के प्रति उनकी स्पष्ट विचार प्रक्रिया को दर्शाता है. ओम बिरला ने कहा कि सांसदों को उनके संबोधन ने सभी राजनीतिक दलों को समान रूप से प्रेरित किया. इसलिए रामनाथ कोविंद को सभी दलों के नेताओं का पूरा समर्थन मिला और सभी सांसद उन्हें संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों के संरक्षक के रूप में देखते हैं. ओम बिरला ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जनहित के महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता सार्वजनिक सेवा के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है.

रामनाथ कोविंद ने बड़े परिवार से की भारतीय संसदीय प्रणाली की तुलना

संसद के सेंट्रल हॉल में अपने विदाई भाषण में सांसदों को संबोधित करते हुए रामनाथ कोविंद ने भारतीय संसदीय प्रणाली की तुलना एक बड़े परिवार से की और सभी पारिवारिक मतभेदों को हल करने के लिए शांति, सद्भाव और संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अपना विरोध व्यक्त करने और अपनी मांगों के समर्थन में दबाव बनाने का नागरिकों को संवैधानिक अधिकार है, लेकिन उन्हें गांधीवादी तरीकों को अपनाकर अपने अधिकारों का शांतिपूर्वक उपयोग करना चाहिए.

राजनीतिक दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए

रामनाथ कोविंद ने राजनीतिक दलों को अपने संदेश में कहा कि जैसा कि किसी भी परिवार में होता है, संसद में कभी-कभी मतभेद होते हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं. लेकिन, हम सभी इस संसदीय परिवार के सदस्य हैं, जिनकी सर्वोच्च प्राथमिकता निंरतर राष्ट्र हित में काम करने की होनी चाहिए. निवर्तमान राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि राजनीतिक दलों और लोगों के पास अपना विरोध व्यक्त करने के लिए कई संवैधानिक तरीके हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की अपनी प्रणाली और राजनीतिक प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और इस बात पर विचार करना चाहिए कि नागरिकों के विकास और कल्याण के लिए क्या आवश्यक है.

रामनाथ कोविंद ने गांव में मौजूदा अपने घर को भी कर दिया है दान

रामनाथ कोविंद का जन्म एक बेहद साधारण परिवार में 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था. एक दलित परिवार में जन्में रामनाथ कोविंद का जीवन व उनका सफर भी मुश्किलों से भरा पड़ा था. कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद रामनाथ कोविंद ने अपनी पढ़ाई पूरी की और सर्वोच्च न्यायालय में अपनी वकालत शुरू की तथा नामी वकील हुए. राजनीति में रामनाथ कोविंद की एंट्री साल 1994 में हुई. इस दौरान वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाते हैं. वे साल 2006 से दो बार राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं. वे पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रह चुके हैं. वहीं वे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. बाद में इन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया. बता दें कि रामनाथ कोविंद के पास आज भी संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं है. वहीं, गांव में मौजूद अपने घर को भी उन्होंने दान कर दिया है.

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