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हिमाचल प्रदेश तक पहुंची चीन के प्रदर्शन की आग, धर्मशाला में तिब्बतियों ने किया प्रर्दशनकारियों का समर्थन

धर्मशाला में रहने वाले तिब्बतियों में से एक ने कहा कि यह एक अभूतपूर्व प्रदर्शन है, जिसे हम देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 1989 के तियानमेन स्क्वायर के प्रदर्शन के बाद से लेकर अब तक हमने चीन में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के नेतृत्व के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन नहीं देखा.

धर्मशाला : चीन में शी जिनपिंग सरकार की ओर से जीरो कोविड पॉलिसी के तहत अभी हाल में किए गए लॉकडाउन के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन की आग भारत तक पहुंच गई है. खबर है कि हिमाचल प्रदेश की धर्मशाला में तिब्बतियों ने चीन के प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे चीन में कोविड विरोध प्रदर्शनों की खबरों के बाद निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों ने चीनी लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की है, जो सरकार की ओर से जीरो कोविड पॉलिसी के तहत लागू सख्त लॉकडाउन का विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

तिब्बती डायस्पोरा के जरिए पहुंचाए जा रहे संदेश

धर्मशाला में रहने वाले तिब्बतियों में से एक ने कहा कि यह एक अभूतपूर्व प्रदर्शन है, जिसे हम देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 1989 के तियानमेन स्क्वायर के प्रदर्शन के बाद से लेकर अब तक हमने चीन में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के नेतृत्व के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन नहीं देखा. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तिब्बती डायस्पोरा से विभिन्न प्रकार के संदेश आ रहे हैं. कुछ एकजुटता की पेशकश करना चाहते हैं और कुछ इस अवसर का उपयोग चीनी नागरिकों की नई पीढ़ी को याद दिलाने के लिए करना चाहते हैं कि आपके पास वह स्वतंत्रता नहीं है, जिसके तहत आप कल्पना करते हैं. एक अन्य तिब्बती व्यक्ति ने कहा कि चीन में अभूतपूर्व और ऐतिहासिक विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि तियानमेन नरसंहार के बाद से चीन में यह पहला बड़ा विरोध-प्रदर्शन है.

तिब्बती सरकार ने भी चीन के जीरो कोविड नीति का किया विरोध

शुक्रवार को निर्वासित तिब्बती सरकार ने ‘जीरो कोविड’ नीति का विरोध करते हुए लागू सख्त लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के प्रति एकजुटता दिखाई. इसके परिणामस्वरूप पूरे चीन में व्यापक विरोध हुआ. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने चीन की शी जिनपिंग सरकार की ओर से जीरो कोविड पॉलिसी के तहत लागू सख्त लॉकडाउन पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त किया है. केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन की कुप्रबंधित जीरो-कोविड नीति से तिब्बत में रहने वाले तिब्बती 26 सितंबर 2022 को खतरे में पड़ गए हैं.

अगस्त से ल्हासा और उरुमकी में लगा है लॉकडाउन

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अगस्त के अंत से चीन में लाखों लोगों को ल्हासा और उरुमकी सहित कई महीनों से गंभीर लॉकडाउन में रखा गया. सरकार के इस सख्त लॉकडाउन की वजह से लोगों को भोजन-पानी और दवा की अपर्याप्त पहुंच, नौकरी-पेशा का नुकसान और मानसिक पीड़ा के साथ कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. शी जिनपिंग सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी के विरोध में लोगों सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं.

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जीरो कोविड नीति की तय हो अवधि

सीटीए के बयान के अनुसार, चीन के विभिन्न शहरों और विश्वविद्यालयों में सख्त कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने स्वतंत्रता और लोकतंत्र का आह्वान किया है. शंघाई से बीजिंग और ग्वांगझू से चेंगदू तक विरोध बड़े पैमाने पर बढ़ गया है. हजारों लोग प्रमुख शहरों की सड़कों और विश्वविद्यालय परिसरों में इकट्ठा हो रहे हैं और सख्त ‘जीरो कोविड’ नीति की अवधि तय करने की मांग कर रहे हैं. उसने कहा कि महामारी के कारण हुई तबाही के कारण दुनिया भर में अनगिनत मौतें हुई हैं, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है और दुनिया भर में महीनों तक तबाही का मंजर बना रहा. सीटीए ने शी जिनपिंग सरकार से सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शनों से निपटने के लिए एक मानवीय दृष्टिकोण लागू करने का आग्रह किया.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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